COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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सोमवार, 27 मार्च 2017

शहरी गरीबों के लिए अधिक किफायती आवास

  • पुद्दुचेरी के लिए 3,128 और हिमाचल प्रदेश के लिए 2,655 आवास
  • कर्नाटक के लिए 31424 आवास, मध्य प्रदेश-27475, बिहार-25221, झारखंड-20099, केरल-11480 और ओडीशा-2115 आवासों को मंजूरी
  • अबतक किफायती आवासों के लिए एक लाख करोड़ रुपये के निवेश की मंजूरी
नई दिल्ली : आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने प्रधानमंत्री आवास योजना-पीएमएवाई (शहरी) के तहत पुद्दुचेरी के शहरी गरीबों के लिए 3128, तेलंगाना के लिए 924 और हिमाचल प्रदेश के लिए 2655 और किफायती आवासों की मंजूरी दी है। 
मंत्रालय ने कल शहरी गरीबों के लिए 1,24,521 किफायती आवासों के लिए मंजूरी दी है। अबतक पीएमएवाई (शहरी) के अंतर्गत मंजूर किए गए 95,671 करोड़ रुपये के निवेश से ऐसे आवासों का निर्माण किया जा रहा है। इन आवासों के निर्माण के लिए केंद्र से 27,766 करोड़ रुपये की सहायता राशि मंजूर की गई है।
शहरी क्षेत्रों में आवासीय मिशन की प्रगति को ध्यान में रखते हुए आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने मंत्रालय के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे सुनिश्चित करें कि शहरी गरीबों के लिए आवासों के निर्माण में संबंधित शहर और राज्य सरकारें कम समय में आवश्यक कदम उठाएं।
पुद्दुचेरी के लिए 47 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ 131 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत से पीएमएवाई (शहरी) के लाभार्थी आधारित निर्माण (बीएलसी) के अंतर्गत चार कस्बों में 3,128 आवासों के लिए मंजूरी दी गई है। इसके साथ ही पुद्दुचेरी के लिए मंजूर किए गए आवासों की कुल संख्या बढ़कर 3,848 हो गई है। पुद्दुचेरी के लिए 2093, कराइकल-592, यनाम-358 और माहे-85 आवास हैं।
तेलंगाना में सिद्दीपेट के लिए 14 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ कुल लगभग 14 करोड़ रुपये की लागत से बीएलसी के अंतर्गत 924 आवास और निर्मित करने की मंजूरी दी गई है। इसके साथ ही पीएमएवाई (शहरी) के अंतर्गत राज्य के लिए मंजूर किए गए आवासों की कुल संख्या बढ़कर 81,405 हो गई है।
हिमाचल प्रदेश के 12 कस्बों के लिए 40 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ 102 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत से 2655 आवासों के लिए मंजूरी दी गई है। इसके साथ ही पीएमएवाई (शहरी) के अंतर्गत राज्य के लिए अबतक मंजूर किए गए आवासों की कुल संख्या बढ़कर 4,569 हो गई है। हिमाचल प्रदेश में नालागढ़ के लिए 531, नाहन-289, धर्मशाला-227, ऊना-217, मंडी-174, शिमला-61, चाबा-57, बिलासपुर-37, सोलन-27, बड्डी-25, कुल्लु-9 और परवाना-1 आवास की मंजूरी दी गई है।
पीएमएवाई (शहरी) के बीएलसी के अंतर्गत प्रत्येक लाभार्थी को अपनी भूमि पर पक्का मकान बनाने या मौजूदा मकान में सुधार करने के लिए 1.50 लाख रुपये की केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त पीएमएवाई (शहरी) के अंतर्गत कर्नाटक के लिए 31424 आवास, मध्य प्रदेश-27475, बिहार-25221, झारखंड-20099, केरल-11480 और ओडीशा-2115 आवासों को मंजूरी दी गई है। ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 25 जून, 2015 को प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) का शुभारंभ किया गया था। इसका उद्देश्य सभी शहरी गरीबों के लिए आवश्यक सुविधा के साथ पक्का मकान उपलब्ध कराना है।
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सभी राज्यों में ‘हुनर हब’ बनाये जायेंगे

  • देश के अल्पसंख्यक समाज के दस्तकारों, शिल्पकारों का डेटा बैंक तैयार किया जा रहा
  • केंद्र सरकार देश भर के एक लाख मदरसों, शिक्षण संस्थानों में शौचालय का निर्माण करेगी
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर के 5 शिक्षण संस्थानों की स्थापना
नई दिल्ली : केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि अल्पसंख्यक समाज के दस्तकारों-शिल्पकारों की कला-कौशल की विरासत को मार्किट-मौका मुहैया कराने के लिए सभी राज्यों में ‘हुनर हब’ बनाये जायेंगे। श्री नकवी ने कहा कि देश भर के अल्पसंख्यक समाज के दस्तकारों, शिल्पकारों का ‘डेटा बैंक’ तैयार किया जा रहा है। नई दिल्ली में आयोजित बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (एमएसडीपी), छात्रवृत्ति और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा करने के लिए राज्यों, संघ राज्य क्षेत्रों के प्रधान सचिवों, अल्पसंख्यक कल्याण प्रभारी, सचिवों के सम्मेलन में श्री नकवी ने यह बात कही।
श्री नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक समाज की पुश्तैनी शिल्पकारी-दस्तकारी को आधुनिक युग की जरुरत के हिसाब से कौशल विकास के जरिये तराशने हेतु बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है, जिनमें राजगीर, बढ़ई, जरदोजी, टेलरिंग, हाउस कीपिंग, आधुनिक-आर्गेनिक कृषि, कुम्हार, ज्वेलरी, यूनानी-आयुर्वेद अनुसंधान, ब्रास, कांच, मिट्टी से निर्मित सामग्री का निर्माण शामिल है। श्री नकवी ने कहा कि हुनर हब के संबंध में राज्य अपने प्रस्ताव भेजे, ताकि अगले वित्तीय वर्ष में कम से कम दो दर्जन राज्यों में ऐसे हुनर हब का निर्माण हो सके, जहां हुनर हाट एवं अन्य सामाजिक-शैक्षिक, कौशल विकास की गतिविधियां की जा सके। श्री नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा आयोजित दो हुनर हाट बहुत ही लोकप्रिय साबित हुए हैं। हुनर हाट के माध्यम से अल्पसंख्यक समाज के दस्तकारों, शिल्पकारों को अपनी कला को देश ही नहीं, विदेश के दर्शकों के सामने प्रदर्शित करने का मौका मिला है।   
श्री नकवी ने कहा कि पिछले 6 महीनों में लगभग 262 करोड़ की लागत से 200 से ज्यादा “सद्भाव मंडप” और लगभग 24 “गुरुकुल” प्रकार के आवासीय स्कूलों को स्वीकृति दी गई है। सद्भाव मंडप विभिन्न प्रकार के सामाजिक - शैक्षिक - सांस्कृतिक एवं कौशल विकास की गतिविधियों का संपूर्ण केंद्र होंगे, साथ ही यह किसी आपदा के समय राहत केंद्र के रूप में भी इस्तेमाल किये जा सकेंगे।
श्री नकवी ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन को मजबूती देने के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। केंद्र सरकार देश भर के एक लाख मदरसों, शिक्षण संस्थानों में शौचालय का निर्माण करेगी। श्री नकवी ने कहा कि इन शैक्षिक केंद्रों में सरकार की योजना मध्याह्न भोजना योजना और शिक्षकों के लिए अपग्रेड कौशल योजना शुरू करने की भी है, जो कि ‘3-टी’ सूत्र - टीचर, टिफिन और टॉयलेट का हिस्सा है। श्री नकवी ने कहा कि इस योजना की सफलता में राज्यों की बड़ी ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।
श्री नकवी ने कहा कि कई वर्षों के बाद अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में बड़ी वृद्धि की है। 2017-18 के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय का बजट बढ़ाकर 4195.48 करोड़ रुपए कर दिया गया है। यह पिछले बजट के 3827.25 करोड़ रुपए के मुकाबले 368.23 करोड़ रुपए (9.6 प्रतिशत की वृद्धि) अधिक है। श्री नकवी ने कहा कि बजट में बढ़ोतरी से अल्पसंख्यकों के सामाजिक - आर्थिक - शैक्षिक सशक्तिकरण में मदद मिलेगी। श्री नकवी ने कहा कि इस बार बजट का 70 प्रतिशत से ज्यादा धन अल्पसंख्यकों के शैक्षिक सशक्तिकरण एवं कौशल विकास, रोजगारपरक ट्रेनिंग पर खर्च किया जायेगा। बजट का बड़ा भाग विभिन्न स्कालरशिप, फेलोशिप और कौशल विकास की योजनाओं जैसे - सीखो और कमाओ, नई मंजिल, नई रौशनी, उस्ताद, गरीब नवाज कौशल विकास केंद्र, बेगम हजरत महल स्कॉलरशिप पर खर्च किये जाने का प्रावधान है। इसके अलावा बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (एमएसडीपी) के तहत भी शैक्षिक विकास की गतिविधियों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर धन खर्च किया जायेगा।  
श्री नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय, अल्पसंख्यकों को बेहतर पारंपरिक एवं आधुनिक शिक्षा मुहैय्या कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के 5 शिक्षण संस्थानों की स्थापना कर रहा है। तकनीकी, मेडिकल, आयुर्वेद, यूनानी सहित विश्वस्तरीय कौशल विकास की शिक्षा देने वाले संस्थान देश भर में स्थापित किये जायेंगे। एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है, जो शिक्षण संस्थानों की रुपरेखा-स्थानों आदि के बारे में चर्चा कर रही है और जल्द ही अपनी विस्तृत रिपोर्ट देगी और मंत्रालय की कोशिश होगी कि यह शिक्षण संस्थान 2018 से काम करना शुरू कर दें। इन शिक्षण संस्थानों में 40 प्रतिशत आरक्षण लड़कियों के लिए किये जाने का प्रस्ताव है।
अल्पसंख्यकों के शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए किये जा रहे हमारे प्रयासों में गरीब नवाज स्किल डेवलपमेंट सेंटर शुरू करना, छात्राओं के लिए बेगम हजरत महल स्कालरशिप, करना एवं 500 से ज्यादा उच्च शैक्षिक मानकों से भरपूर आवासीय विद्यालय एवं रोजगार परक कौशल विकास केंद्र शामिल हैं। सम्मेलन का उद्देश्य 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान कार्यान्वित अल्पसंख्यक मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं की कार्यक्षमता की समीक्षा करने के साथ-साथ 14वें वित्त आयोग (2017-18 से 2019-20 तक) की शेष अवधि के दौरान कार्यान्वयन के लिए राज्यों के सुझाव प्राप्त करना है।
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रविवार, 12 मार्च 2017

Happy Holi

2017 में 1,70,025 लोग हज यात्रा पर जायेंगे

हज कोटा में वृद्धि से सभी राज्यों को लाभ 
 स्ंक्षिप्त खबरें 
नई दिल्ली : सऊदी अरब सरकार द्वारा भारत के वार्षिक हज कोटा में वृद्धि किये जाने से सभी राज्यों को लाभ हुआ है, क्योंकि 2017 की हज यात्रा के लिए राज्यों के कोटे में भी वृद्धि हुई है। राज्यों का हज कोटा 9 मार्च, 2017 को जारी किया गया और तीर्थ यात्रियों के चयन की प्रक्रिया लॉटरी के जरिये 14 मार्च से शुरू होगी।
सऊदी अरब ने भारत का हज कोटा बढ़ाकर 34,005 कर दिया है। इस संबंध में निर्णय 11 जनवरी, 2017 को जेद्दा में केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मुख्तार अब्बास नकवी और सऊदी अरब सम्राज्य के हज तथा उमरा मंत्री डॉ. मोहम्मद सालेह बिन ताहेर बेनतेन द्वारा भारत और सऊदी अरब के बीच द्विपक्षीय वार्षिक हज समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान लिया गया था।
2016 की हज यात्रा के दौरान भारत के 21 ठिकानों से लगभग 99,903 हज यात्री जेद्दा गए थे। इसके अतिरिक्त 36 हजार हज यात्री निजी टूर आॅपरेटरों के मार्फत जेद्दा गए थे। 2017 हज के लिए भारत से 1,70,025 हज यात्री जेद्दा जायेंगे। इसमें से 1,25,025 हज यात्री भारत की हज समिति के माध्यम से और 45 हजार हज यात्री निजी टूर आॅपरेटरों के माध्यम से जायेंगे।
हज कोटा में वृद्धि से सभी राज्यों को लाभ हुआ है। गुजरात के लिए हज कोटा वर्ष 2016 में 7044 था, जो 2017 हज के लिए बढ़कर 10877 हो गया। उत्तर प्रदेश का हज कोटा 21,828 से बढ़कर 29,017 हो गया है। हरियाणा का कोटा पिछले वर्ष के 1011 से बढ़कर 1343, जम्मू कश्मीर का कोटा 6359 से बढ़कर 7960 और कर्नाटक का कोटा पिछले साल के 4477 से बढ़कर 5951 हो गया है। महाराष्ट्र में पिछले वर्ष के 7357 की तुलना में 9780 हज यात्री जायेंगे। तमिलनाडु का कोटा 3189 से बढ़ाकर 2399, पश्चिम बंगाल का कोटा 8905 से बढ़ाकर 9940, तेलंगाना का कोटा 2532 से बढ़ाकर 3367, राजस्थान का 3525 से बढ़ाकर 4686, मध्य प्रदेश का 2708 से बढ़ाकर 3599, दिल्ली का 1224 से बढ़ाकर 1628, आन्ध्र प्रदेश का कोटा 2052 से बढ़ाकर 2728 और झारखंड का कोटा 2719 से बढ़ाकर 3306 कर दिया गया है।
2017 की हज यात्रा के लिए कुल 4,48,268 आवेदन प्राप्त किये गए। सबसे अधिक आवेदन केरल (95,236) से प्राप्त हुआ है और उसके बाद प्राप्त आवेदनों की संख्या क्रमशः इस प्रकार है - महाराष्ट्र (57,246), गुजरात (57,225), उत्तर प्रदेश (51,375), जम्मू और कश्मीर (35,217), मध्य प्रदेश (24,875), कर्नाटक (23,514) और तेलंगाना (20,635) है।
हज प्रक्रिया को डिजिटल बनाने का श्री नकवी का प्रयास काफी सफल हुआ है। कुल 1,29,196 आवेदन ऑनलाइन किये गए। सबसे अधिक ऑनलाइन आवेदन केरल (34,783) से प्राप्त हुए। इसके बाद क्रमशः महाराष्ट्र (24,627), उत्तर प्रदेश (10,215), गुजरात (10,071), जम्मू और कश्मीर (8227), राजस्थान (8091)।
यह पहला मौका है जब हज आवेदन प्रक्रिया डिजिटल बनाई गई। 2 जनवरी, 2017 को हज कमेटी ऑफ इंडिया मोबाइल एप्प लांच किया गया। केंद्र सरकार ने हज 2017 के लिए ऑनलाइन आवेदनों को प्रोत्साहित किया, ताकि लोगों को पारदर्शिता और आराम के साथ हज यात्रा करने का अवसर मिले। दिसंबर में हज की नई वेबसाइट भी लांच की गई थी।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारत की हज कमेटी ने काफी पहले से हज 2017 की तैयारियां शुरू कर दी, ताकि अगली हज यात्रा सुचारू और सहज हो। राज्यों का हज कोटा पूरी पारदर्शिता के साथ 2011 की जनगणना के अनुसार राज्यों की आबादी के आधार पर निर्धारित किया गया है।

बिहार के वैशाली में केला अनुसंधान केन्द्र स्थापित

नई दिल्ली : केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि बिहार केले की खेती के लिए काफी उपयुक्त है और बड़े पैमाने पर केले की पैदावार यहां के किसानों की तकदीर बदल सकती है। कृषि मंत्री ने यह बात गोरौल, जिला वैशाली, बिहार में केला अनुसंधान केन्द्र के शिलान्यास के अवसर पर कही।
कृषि मंत्री ने कहा कि अक्टूबर, 2016 को राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा को केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय का दर्जा मिला। इसके बाद वैशाली में केले की खेती करने के इच्छुक किसानों की उम्मीदें पूरी करने के लिए सरकार ने यहां केला अनुसंधान केन्द्र स्थापित किया है। केला अनुसंधान केन्द्र वैशाली के गोरौल प्रक्षेत्र के तहत आता है और पारिस्थितिकीय कारणों के कारण केला अनुसंधान केन्द्र की स्थापना के लिए गोरौल को चुना गया है। उन्होंने कहा कि यह केन्द्र देश एवं राज्य में केले की खेती के कम उपज के कारणों, खेती के रकवा विस्तार, पौधे के अन्य भागों के समुचित उपयोग, विभिन्न उत्पाद, विपणन एवं मूल्यवर्धन (वैल्यू एडिशन) के क्षेत्र में अनुसंधान करेगा।
श्री सिंह ने बताया कि डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने प्रधानमंत्री के सपनों को पूरा करने के लिए केले की खेती से आमदनी दुगुनी करने के लिए शोध शुरू कर दिया है। इस शोध संस्थान के शुरू होने से यह अनुसंधान और जोर पकड़ेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि केन्द्र अनुसंधानकर्ताओं के सहयोग एवं कृषकों की सहभागिता से बिहार एवं आसपास के राज्यों में महाराष्ट्र वाली केला क्रांति का सूत्रधार बनेगा और इलाके के किसानों की समृद्धि एवं सुख का कारण बनेगा।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के किसान 26 सरकारी समितियों के माध्यम से घरेलू बाजार विकसित कर विदेशों तक केले का निर्यात कर केला उत्पादन में देश को एक नयी दिशा दे रहे हैं। महाराष्ट्र केले की सघन खेती, टीशू कल्चर, टपक सिंचाई आदि का उपयोग कर 12-15 हजार रेलवे वैगन प्रति वर्ष उच्च गुणवत्तायुक्त केला देशभर में भेजने का काम करता है।
श्री सिंह ने कहा कि भारत में केले का उत्पादन 14.2 मि. टन है। भारत केला उत्पादन में दुनिया का प्रथम एवं रकबा में दुनिया में तीसरा स्थान रखता है, जो फल के रकवे का 13 प्रतिशत एवं फल उत्पादन का 33 प्रतिशत है। राज्यों में महाराष्ट्र सबसे बड़ा उत्पादक है एवं इसके बाद तमिलनाडु आता है। महाराष्ट्र की उत्पादकता 65.7 टन/हे. है, जो कि औसत राष्ट्रीय उत्पादकता 34.1 टन/हे. से अधिक है। बिहार में केले की खेती 27.2 हजार हेक्टेयर में की जाती है, उत्पादन लगभग 550 हजार टन एवं औसत उत्पादकता 20.0 टन/हे. है, जो राष्ट्रीय औसत से काफी कम है।
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बुधवार, 8 मार्च 2017

100 जिले खुले में शौच मुक्त घोषित

 संक्षिप्त खबरें 
नई दिल्ली : पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने स्वच्छ भारत मिशन में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित करने और उनकी अगुवाई की भलीभांति सराहना करने के उद्देश्य से देश भर में पूरे सप्ताह चलने वाली विभिन्न गतिविधियों के कार्यक्रम ‘स्वच्छ शक्ति सप्ताह’ का शुभारंभ किया। केन्द्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने हरियाणा सरकार के साथ संयुक्त रूप से आयोजित एक कार्यक्रम के तहत हरियाणा के गुरुग्राम में राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छ शक्ति सप्ताह का शुभारंभ किया। हरियाणा में जमीनी स्तर से जुड़ी 1000 से अधिक महिला स्वच्छता चैंपियनों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। हरियाणा के 11 ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) जिलों के उपायुक्तों को इस अवसर पर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर श्री तोमर ने स्वच्छ भारत मिशन के क्रियान्वयन के तहत समस्त ग्रामीण भारत में महिलाओं द्वारा निभाई जा रही अग्रणी भूमिका की सराहना की। उन्होंने स्वच्छता को एक जन आंदोलन का स्वरूप प्रदान करने के लिए भी इनकी सराहना की। उन्होंने घोषणा की कि पूरे सप्ताह के दौरान राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम आयोजित कर महिला स्वच्छता चैंपियनों, महिला सरपंचों, ‘आशा’ से जुड़ी कार्यकर्ताओं, स्कूल शिक्षकों, युवा विद्यार्थियों और वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि गुजरात में एक विशाल कार्यक्रम के आयोजन के साथ इस सप्ताह का समापन होगा। ‘स्वच्छ शक्ति 2017’ नामक इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 6000 महिला सरपंचों को संबोधित करेंगे और स्वच्छ भारत में उनके अहम योगदान के लिए उन्हें सम्मानित करेंगे।
मंत्री महोदय ने यह भी घोषणा की कि देश में ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) जिलों की संख्या अब 100 के पार चली गई है। इसी तरह 1.7 लाख से ज्यादा गांव अब ओडीएफ हो गये हैं। उन्होंने कहा कि आज हासिल की गई इस महत्वपूर्ण उपलब्धि ने इसे मिशन के लिए दोहरी खुशी के अवसर में तब्दील कर दिया है। उन्होंने स्वच्छ एवं खुले में शौच मुक्त भारत को एक वास्तविकता में तब्दील करने संबंधी प्रधानमंत्री के विजन में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए स्वच्छ भारत मिशन से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति, विशेषकर इन 100 जिलों के प्रशासन की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
हरियाणा के विकास एवं पंचायत और कृषि मंत्री ओ. पी. धनखड़ भी इस अवसर पर उपस्थित थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि महिलाएं स्वच्छ भारत मिशन की स्वाभाविक नेता हैं। उन्होंने यह भी घोषणा की कि हरियाणा नवंबर, 2017 तक एक ओडीएफ राज्य बन जायेगा। केंद्र एवं राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ अन्य हितधारकों ने भी इस समारोह में भाग लिया।

आर्सेनिक के बारे में जागरूकता जरूरी : उमा भारती

नई दिल्ली : केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा है कि गंगा बेसिन में आर्सेनिक की समस्या से करोड़ों लोग प्रभावित हो रहे हैं और इस समस्या के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए एक समग्र आंदोलन चलाए जाने की जरूरत है। नई दिल्ली में केंद्रीय भूमि जल बोर्ड की ओर से ‘गंगा बेसिन के भूजल में आर्सेनिक की समस्या एवं निराकरण’ विषय पर आयोजित कार्याशाला का उदघाटन करते हुए उन्होंने कहा कि भूजल में आर्सेनिक की समस्या से निपटने के लिए इस कार्यशाला की रिपोर्ट आने के बाद मंत्रालय एक व्यापक कार्ययोजना तैयार करेगा, जिसमें राज्य सरकारों एवं गैर सरकारी संगठनों का भी सहयोग लिया जायेगा। विकास में जनभागिदारी के महत्व पर जोर डालते हुए उन्होंने कहा कि भूजल में आर्सेनिक एवं अन्य प्रदूषण से निपटने के लिए भी जनआंदोलन खड़ा करना पड़ेगा। इसी प्रकार जल के सदुपयोग को भी जन आंदोलन बनाये जाने की जरूरत है। सुश्री भारती ने कहा कि उन्होंने भी ऐसे कई गांव देखे हैं, जहां जल संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य हुआ है।   
सुश्री भारती ने कहा कि ग्रामीण भारत को पीने के पानी की जरूरतों को पूरा करने में 85 फीसदी के आसपास योगदान भूजल का है। भारत सरकार की योजनाओं में भूजल संसाधनों की स्थिरता एक बडा एजेंडा है। क्योंकि बदलती जीवन शैली और बढ़ती जनसंख्या के साथ पानी की मांग भी बढ़ रही है, और भूजल संसाधनों का संरक्षण करने और उन्हें बचाने की अत्यन्त जरूरत है।        
सुश्री भारती ने कहा कि भूजल संसाधनों से संबंधित समस्याओं में से एक प्रमुख समस्या पानी की गुणवत्ता की है। भूजल में आर्सेनिक की मौजूदगी जहर के समान है और यह मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड और जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय द्वारा गंगा बेसिन में कृत्रिम पुनर्भरण और वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे भूजल की गुणवत्ता में सुधार लाने में मदद मिलेगी ।
केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री ने विश्वविद्यालयों, आईआईटी और अनुसंधान संस्थानों में काम कर रहे भूजल विशेषज्ञों से आह्वान किया कि वे भी अपने महत्वपूर्ण सुझाव दें, ताकि मंत्रालय को इस समस्या के समाधान के लिए भविष्य की रणनीति बनाने में सहायता मिल सके।
कार्यशाला के उदघाटन सत्र में केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण राज्य मंत्री संजीव बालियान ने कहा कि भूजल में आर्सेनिक की समस्या से देश की 50 फीसदी जनता जूझ रही है। उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए सभी विभागों को एक सामूहिक सोच बनानी पडे़गी और मिलकर कार्य करना होगा। मंत्रालय के सचिव डॉ. अमरजीत सिंह ने इस अवसर पर कहा कि गंगा नदी से ही सर्वाधिक जल मिल रहा है और यही नदी आर्सेनिक से ज्यादा प्रदूषित है। इस समस्या के निजात पाने के लिए राज्यों में टास्क फोर्स बनाकर कार्य किया जायेगा। एक दिवसीय इस कार्यशाला में देशभर के विभिन्न राज्यों एवं संस्थानों से आए 300 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यशाला के लिए 23 प्रपत्र चुने गए, जिसमें से सात प्रपत्रों पर विशेषज्ञों एवं भूजल वैज्ञानिकों के बीच विस्तृत चर्चा हुई।

राघोपुर में कटाव निरोधक कार्य के लिए 4268.25 लाख रुपये स्वीकृत

पटना : जल संसाधन विभाग ने जानकारी दी है कि राघोपुर दियारान्तर्गत गंगा नदी के दायें धार के बायें किनारे एवं बायें धार के दायें एवं बायें किनारे स्थित विभिन्न बिन्दुओं पर कटाव निरोधक कार्य हेतु प्राक्कलित राशि 4268.25 लाख रुपये की प्रशासनिक एवं व्यय की स्वीकृति दी गई है। सूचनानुसार राशि की निकासी एवं व्ययन हेतु कार्यपालक अभियंता, बाढ़ नियंत्रण एवं जन निस्सरण प्रमंडल, लालगंज को अधिकृत किया गया है तथा इस कार्य के लिए नियंत्री पदाधिकारी प्रधान सचिव, जल संसाधन विभाग, पटना होंगे। उक्त निर्माण कार्य की समय सीमा वित्तीय वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 में कार्यान्वित करते हुए दिनांक 31 मई, 2017 तक पूर्ण करने की है।
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सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर के 5 शिक्षण संस्थानों की स्थापना करेगी

नई दिल्ली : केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने युद्धस्तर पर अभियान चलाया हुआ है जिससे कि अल्पसंख्यकों सहित समाज के सभी तबकों को सस्ती, सुलभ गुणवत्ता वाली शिक्षा मिल सके। नई दिल्ली में “माइनॉरिटी कम्युनिटी टीचर्स एसोसिएशन” के नेशनल सेमिनार को सम्बोधित करते हुए श्री नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय अल्पसंख्यकों को बेहतर पारंपरिक एवं आधुनिक शिक्षा मुहैय्या कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के 5 शिक्षण संस्थानों की स्थापना करेगा। तकनीकी, मेडिकल, आयुर्वेद, यूनानी सहित विश्वस्तरीय कौशल विकास की शिक्षा देने वाले संस्थान देश भर में स्थापित किये जायेंगे। एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है, जो शिक्षण संस्थानों की रुपरेखा-स्थानों आदि के बारे में चर्चा कर रही है और जल्द ही अपनी विस्तृत रिपोर्ट देगी और हमारी कोशिश होगी कि यह शिक्षण संस्थान 2018 से काम करना शुरू कर दें। इन शिक्षण संस्थानों में 40 प्रतिशत आरक्षण लड़कियों के लिए किये जाने का प्रस्ताव है। 
श्री नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय का पूरा जोर इस बात पर है कि अल्पसंख्यकों को बेहतर शिक्षा के साथ-साथ उन्हें विभिन्न कौशल ट्रेनिंग भी दी जाये, जिससे छात्र रोजगार के योग्य हो सकें। अल्पसंख्यकों को बेहतर शिक्षा दिलाने और बेहतर रोजगारपरक ट्रेनिंग देने के लिए मंत्रालय विभिन्न योजनाएं चला रहा है। 
श्री नकवी ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस बार अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में बड़ी वृद्धि की है। 2017-18 के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय का बजट बढ़ाकर 4195.48 करोड़ रुपए कर दिया गया है। यह पिछले बजट के 3827.25 करोड़ रुपए के मुकाबले 368.23 करोड़ रुपए (9.6 प्रतिशत की वृद्धि) अधिक है। श्री नकवी ने कहा कि बजट में बढ़ोतरी से अल्पसंख्यकों के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक सशक्तिकरण में मदद मिलेगी। 
श्री नकवी ने कहा कि इसबार बजट का 70 प्रतिशत से ज्यादा धन अल्पसंख्यकों के शैक्षिक सशक्तिकरण एवं कौशल विकास, रोजगारपरक ट्रेनिंग पर खर्च किया जायेगा। बजट का बड़ा भाग विभिन्न स्कालरशिप, फेलोशिप और कौशल विकास की योजनाओं जैसे ‘सीखो और कमाओ’, ‘नई मंजिल’, ‘नई रौशनी’, ‘उस्ताद’, ‘गरीब नवाज कौशल विकास केंद्र’, ‘बेगम हजरत महल स्कॉलरशिप’ पर खर्च किये जाने का प्रावधान है। इसके अलावा बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (एमएसडीपी) के तहत भी शैक्षिक विकास की गतिविधियों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर धन खर्च किया जायेगा। 
मेरिट-कम-मीन्स स्कालरशिप पर 393.5 करोड़ रुपए, प्री-मेट्रिक स्कालरशिप पर 950 करोड़ रुपए, पोस्ट-मेट्रिक स्कालरशिप पर 550 करोड़ रुपए, ‘सीखो और कमाओ’ पर पिछले साल के मुकाबले 40 करोड़ रुपए की वृद्धि के साथ 250 करोड़ रुपए, ‘नई मंजिल’ पर 56 करोड़ रुपए की वृद्धि के साथ 176 करोड़ रुपए, मौलाना आजाद फेलोशिप स्कीम पर 100 करोड़ रुपए खर्च किये जाने का प्रावधान है। मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन के लिए 113 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। श्री नकवी ने कहा कि 2017-18 में 35 लाख से ज्यादा छात्रों को विभिन्न स्कॉलरशिप दी जाएगी। इसके अलावा 2 लाख से अधिक युवाओं को रोजगार परक ट्रेनिंग दी जाएगी। 
श्री नकवी ने कहा कि 16 से ज्यादा ‘‘गुरुकुल’’ प्रकार के आवासीय स्कूलों को स्वीकृति दी गई है। साथ ही जो मदरसें मुख्यधारा की शिक्षा भी दे रहे हैं, उन्हें भी मदद दी जारी रही है। अल्पसंख्यकों के शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए किये जा रहे केंद्र सरकार के प्रयासों में गरीब नवाज स्किल डेवलपमेंट सेंटर शुरू करना, छात्राओं के लिए बेगम हजरत महल स्कालरशिप करना एवं 500 से ज्यादा उच्च शैक्षिक मानकों से भरपूर आवासीय विद्यालय एवं रोजगार परक कौशल विकास केंद्र शामिल हैं।
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बुधवार, 1 मार्च 2017

जनजातियों को हर हाल में लाभ मिले : राज्यपाल

 संक्षिप्त खबरें 
रांची : राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा जनजातियों के विकास हेतु विभिन्न योजनाएं संचालित हैं। इन योजनाओं का लाभ उन्हें हर हाल में मिलनी चाहिए। इस निमित्त उन्होंने जनजातियों को जागरुक होने हेतु कहा। राज्यपाल ने गिरिडीह में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह कहा। राज्यपाल ने इस अवसर पर जनजातीय समाज को शिक्षा के प्रति जागरुक होने हेतु कहा। उन्होंने समाज के विकास हेतु इसे अत्यावश्यक बताया। उन्होंने कहा कि यदि आदिवासी समाज को विकास की ओर अग्रसर होना है, तो उन्हें शिक्षा का मार्ग अपनाना होगा। उन्हें अपने बच्चों को शिक्षित करना होगा। इस अवसर पर कल्याण मंत्री डाॅ. लुईस मरांडी, सांसद रवीन्द्र नाथ पांडेय, विधायक निर्भय शाहबादी समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

‘योजनाओं का तीव्र गति से कार्यान्वयन हो’

रांची : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि लोगों के कल्याणार्थ केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित सभी योजनाओं का कार्यान्वयन तीव्र गति से हो, इसके लिए सभी तत्परता से कार्य करें। उन्होंने कहा कि जनता को उनका यथोचित लाभ सुगमतापूर्वक मिले, इस हेतु  निरंतर अनुश्रवण करें। उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों द्वारा संचालित योजनाओं की प्रगति की निरंतर समीक्षा की जानी चाहिए। जिस योजना के कार्यान्वयन में हम पीछे हैं, उस पर विशेष ध्यान देना चाहिए। साथ ही योजना से वंचित लोगों की शिकायतों की समीक्षा करनी चाहिए। राज्यपाल राज भवन में आदिम जनजातियों, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यकों के कल्याणार्थ संचालित विभिन्न योजनाओं की समीक्षा कर रही थी। इस अवसर पर मंत्री, कल्याण एवं समाज कल्याण विभाग डाॅ. लुईस मरांडी, विकास आयुक्त-सह-अपर मुख्य सचिव, योजना एवं विŸा विभाग अमित खरे, राज्यपाल के प्रधान सचिव एस. के. शतपथी, प्रधान सचिव, समाज कल्याण मुखमीत सिंह भाटिया, कल्याण सचिव हिमानी पाण्डेय, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा अजय सिंह, सचिव, प्राथमिक, माध्यमिक एवं साक्षरता अराधना पटनायक समेत अन्य वरीय पदाधिकारीगण उपस्थित थे।
राज्यपाल महोदया ने इस अवसर पर कहा कि कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में सुरक्षा की ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। वहां की छात्राओं के स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जाय। उन्होंने विद्यालय परिसर की चारदिवारी और उसके दिवार की ऊंचाई पर भी ध्यान देने हेतु कहा। सुरक्षा हेतु महिला होमगाॅर्ड की प्रतिनियुक्ति के सुझाव का उन्होंने स्वागत किया। उन्होंने विद्यालय में खेल के मैदान तथा संगीत शिक्षक की उपलब्धता हेतु भी पहल करने को कहा। राज्यपाल महोदया ने बैठक में वृद्धाश्रम व अनाथालय के संचालन के लिए एक बेहतर नीति-निर्माण हेतु कहा और उचित प्रबंधन की ओर ध्यान देने की आवश्यकता बताई। इस दिशा में स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यों का आकलन भी होनी चाहिये। 
राज्यपाल ने अल्पसंख्यकों के कल्याणार्थ संचालित योजनाओं के तीव्र कार्यान्वयन की दिशा में यह ध्यान देने हेतु भी कहा कि जिस राज्य में इन योजनाओं का बेहतर और अधिक सफल कार्यान्वयन हो रहा है, वहां की नीतियों व कार्यपद्धति को भी देखा जा सकता है। उन्होंने आदिम जनजातियों हेतु संचालित विद्यालयों की समीक्षा करते हुए कहा कि विद्यालय के संचालन हेतु एनजीओ पर निर्भरता की समीक्षा करनी होगी। उन्होंने कौशल विकास की समीक्षा करते हुए कहा कि लोगों का किस क्षेत्र में रूझान है, इसे प्रशिक्षण हेतु ध्यान में रखा जाना चाहिये जिससे वे बेहतर कर सकें और उन्हंें रोजगार प्राप्त हो सकें। उन्होंने अनुसूचित जाति/जनजाति हेतु संचालित छात्रावास की समीक्षा करते हुए कहा कि अधूरे निर्मित छात्रावास को शीघ्र पूर्ण किया जाय। छात्रावासों की मरम्मति की ओर भी ध्यान देने हेतु कहा। साथ ही वहां वार्डन/मेट्राॅन की उपलब्धता हेतु भी कहा।
राज्यपाल महोदया ने मुख्यमंत्री खाद्य सुरक्षा योजना की समीक्षा करते हुए कहा कि सभी लाभुकों को उनका वाजिब हक़ मिले, इस ओर विशेष ध्यान देना होगा। शिकायतों के निबटारा की ओर ध्यान दें। इसके अतिरिक्त उन्होंने वनाधिकार योजना, प्री एवं पोस्ट मैट्रिक छात्रवृŸिा योजना, साईकल वितरण योजना, पोषाक वितरण योजना, मुख्यमंत्री जनजाति ग्राम योजना, वन बंधु कल्याण योजना, सरना फेन्सिंग/मांझी धुमकुड़िया योजना, अनुसूचित जनजाति/जाति के किसानों के लिए माइक्रो सिंचाई योजना, लाईवलीवुड प्रमोशन कार्यक्रम आदि की समीक्षा की।
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नंद कुमार साई राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष

 संक्षिप्त खबरें 
नई दिल्ली : छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आदिवासी नेता और पूर्व सांसद नंद कुमार साई ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष का पदभार संभाल लिया। इस अवसर पर श्री साई ने कहा कि वह देश के दूर-दराज इलाकों में रहने वाले आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करने की भरसक कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे देश में रहने वाले ज्यादातर आदिवासीगण संविधान द्वारा उन्हें प्रदत्त अधिकारों से अब भी अनभिज्ञ हैं। श्री साई ने कहा कि वह इस बात पर गौर करेंगे कि देश में अनुसूचित जनजातियों के लोगों के समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एनसीएसटी एक महत्वपूर्ण साधन में तब्दील हो जाए।
इससे पहले एनसीएसटी के कार्यालय में उनके आगमन पर श्री साई की अगवानी एनसीएसटी की उपाध्यक्ष अनुसुइया यूइके, सांसद बारी कृष्ण दामोर एवं हर्षदभाई चुनीलाल वसावा और आयोग के सचिव राघव चन्द्र ने की।
छत्तीसगढ़ के जसपुर जिले के भगोरा गांव में 1 जनवरी, 1946 को जन्मे श्री साई ने जसपुर स्थित एनईएस कॉलेज में अपना अध्ययन कार्य संपन्न किया और रायपुर स्थित पंडित रवि शंकर शुक्ला विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। श्री साई वर्ष 1977, 1985 और वर्ष 1998 में मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। वह वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए और वह विधानसभा में विपक्ष के प्रथम नेता थे। श्री साई वर्ष 1989, 1996 और वर्ष 2004 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। वह वर्ष 2009 और 2010 में राज्यसभा के लिए भी निर्वाचित हुए। वह कोयले एवं इस्पात पर गठित स्थायी संसदीय समिति के सदस्य भी रह चुके हैं और इसके साथ ही वह शहरी विकास मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति के सदस्य भी रह चुके हैं।
श्री साई आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा के प्रसार में काफी सक्रिय रहे हैं। निषेध के प्रबल समर्थक श्री साई आदिवासियों के शोषण एवं उन पर अत्याचार के विरोध स्वरूप शुरू किए गए विभिन्न आंदोलनों की कमान संभालते रहे हैं।

सड़कों पर जीवन यापन करने वाले बच्चों के संरक्षण व देखभाल के लिए मानक संचालन प्रक्रिया का शुभारंभ

नई दिल्ली : सड़कों पर जीवन यापन करने पर विवश बच्चों के संरक्षण एवं देखभाल के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का शुभारंभ नई दिल्ली में महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी द्वारा किया गया, जिसका उद्देश्य उनके पुनर्वास के साथ-साथ हिफाजत को भी सुनिश्चित करना है। इससे पहले एसओपी का शुभारंभ एक समारोह में किया गया, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश माननीया मुक्ता गुप्ता, एनसीपीसीआर की अध्यक्ष स्तुति कक्कड़, जानी-मानी फिल्म अभिनेत्री एवं सेव द चिल्ड्रेन की ब्रांड अम्बेसडर दीया मिर्जा, सेव द चिल्ड्रेन इन इंडिया के अध्यक्ष हरपाल सिंह और सेव द चिल्ड्रेन इंटरनेशनल के सीईओ थॉमस चांडी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। एनसीपीसीआर ने सड़कों पर जिंदगी गुजारने पर मजबूर बच्चों के लिए इस अत्यावश्यक रणनीति को विकसित करने हेतु सिविल सोसायटी ऑर्गेनाइजेशन (सीएसओ), सेव द चिल्ड्रेन के साथ गठबंधन किया।
एनसीपीसीआर ने सड़कों पर जीवन यापन कर रहे बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण के लिए आवश्यक कदमों वाली एक विस्तृत रूपरेखा तय करने का निर्णय लिया, क्योंकि इस तरह के बच्चों की समस्याएं बहुआयामी एवं जटिल होती हैं। एसओपी का लक्ष्य मौजूदा वैधानिक एवं नीतिगत रूपरेखा के अंतर्गत विभिन्न कदमों को दुरुस्त करना है। एसओपी का उद्देश्य उन प्रक्रियाओं को चिन्हित करना है, जिनपर अमल तब किया जायेगा, जब सड़कों पर जीवन यापन करने वाले किसी बच्चे की पहचान एक जरूरतमंद बच्चे के रूप में हो जायेगी। ये प्रक्रियाएं नियमों एवं नीतियों की मौजूदा रूपरेखा के अंतर्गत ही होगी और इनकी बदौलत विभिन्न एजेंसियों द्वारा उठाये जाने वाले कदमों में समुचित तालमेल संभव हो पायेगा। इसके अलावा, ये प्रक्रियाएं इन बच्चों की देखभाल, संरक्षण एवं पुनर्वास के लिए समस्त हितधारकों हेतु कदम-दर-कदम दिशा-निर्देश के रूप में होगी।
एसओपी के शुभारंभ के अवसर पर मेनका संजय गांधी ने कहा, ‘हमारी सरकार भारत में हर बच्चे की खुशहाली के लिए प्रतिबद्ध है। इस पहल से सरकार को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा एवं संरक्षण संबंधी सुविधाएं सड़कों पर जीवन यापन करने वाले बच्चों को भी सुलभ हों।’
विभिन्न क्षेत्रों में किये गये विस्तृत शोध अध्ययनों के निष्कर्षों के साथ-साथ 35 एनजीओ के साथ पटना, लखनऊ, हैदराबाद और मुम्बई में किये गये क्षेत्रीय विचार-विमर्श से उभर कर सामने आये सुझावों पर गौर करने के बाद ही एसओपी तैयार की गई। एसओपी को तैयार करने से पहले दिल्ली में उन बच्चों से भी एनसीपीसीआर में सलाह-मशविरा किया गया, जो सड़कों पर जीवन यापन करने की विवशता से अपने-आपको उबार चुके हैं।
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