COPYRIGHT © Rajiv Mani, Journalist, Patna

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रविवार, 27 नवंबर 2016

झारखंड में सूदखोरी व महाजनी प्रथा का अंत

  • सूदखोरी का कारोबार करनेवालों को तीन साल का कारावास और पांच हजार रुपये का अर्थदंड 
  • अपराध की पुनरावृत्ति पर पांच साल का कारावास और दस हजार रुपये का अर्थदंड
  • उधारी या बगैर ब्याज के लेन-देन पर कोई रोक नहीं
 खास खबर 
रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने महाजनी प्रथा के विरुद्ध संथाल हूल का बिगुल फूंकने वाले अमर शहीद सिदो - कान्हों और उलगुलान का ऐलान करनेवाले भगवान बिरसा मुंडा को सच्ची श्रद्धांजलि दी है और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के संघर्ष को वास्तविक अर्थों में यथोचित सम्मान दिया है। श्री दास की पहल पर राज्य सरकार ने झारखंड में महाजनी प्रथा, साहूकारी एवं अवैध सूदखोरी व्यवसाय को पूरी तरह बंद करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इस प्रावधान को कानून की शक्ल देने की आवश्यक प्रक्रिया पूरी करते हुए मंत्रिपरिषद ने ‘झारखंड निजी साहूकार (निषेध) विधेयक 2016’ को स्वीकृति दे दी है और विधानसभा ने भी इसे पारित कर दिया है। इस कानून के प्रावधानों के अनुसार, अब कोई व्यक्ति किसी वस्तु, संपत्ति, जमीन, स्वर्ण आदि बंधक या रेहन रखकर साहूकारी या सूदखोरी का व्यवसाय नहीं कर सकेगा। यदि कोई व्यक्ति इस कानून का उल्लंघन कर सूदखोरी या साहूकारी का व्यवसाय करेगा, तो उसे तीन वर्ष तक के कारावास एवं पांच हजार रुपये तक का अर्थदंड दिया जाएगा। यदि किसी व्यक्ति को इस कानून के तहत एक बार सजा हो चुकी है और उसके विरुद्ध दोबारा इस कानून के उल्लंघन का दोष सिद्ध होता है, तो उसे पांच वर्ष तक के कारावास एवं दस हजार रुपये का आर्थिक दंड दिया जाएगा।
विकास आयुक्त सह अपर मुख्य सचिव वित्त एवं योजना अमित खरे ने बताया कि सदियों से झारखंड के भोले भाले ग्रामीण जिनमें सबसे ज्यादा संख्या जनजातीय समुदाय की है, महाजनी प्रथा, साहूकारी एवं सूदखोरी की वजह से शोषण के शिकार हो रहे हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से आर्थिक रूप से कमजोर तबके को सूदखोरी और महाजनों के चंगुल से बचाने के लिए कई उपाय किये गए, कई कानून भी बने, लेकिन ये कानून गरीब ग्रामीणों और आदिवासियों को महाजनों के शोषण से पूरी तरह मुक्त कराने में सफल नहीं हो सके। अविभाजित बिहार में ‘बिहार साहूकार अधिनियम 1974’ लागू था, जिसे राज्य विभाजन के बाद झारखंड की सरकार ने भी अंगीकार किया था। लेकिन इस कानून के प्रावधान केवल महाजनों को नियंत्रित करने से ही संबंधित थे।
राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने निजी साहूकारी व्यवस्था का पूरी तरह निषेध करने हेतु प्रस्ताव लाने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री के निर्देश पर ही झारखंड निजी साहूकार (निषेध) विधेयक 2016 को मंत्रिपरिषद की बैठक में विमर्शोपरांत स्वीकृति मिली और विधानसभा से भी इसे पारित कराया गया।
अमित खरे ने यह भी स्पष्ट किया कि सूदखोरी के खिलाफ बने इस ऐतिहासिक कानून के लागू होने के बावजूद उधारी या बगैर ब्याज के लेन-देन पर कोई रोक नहीं लगी है। इस कानून के माध्यम से केवल किसी व्यक्ति द्वारा किसी उधारी, रेहन या बंधक के विरुद्ध सूद कमाने के कारोबार पर रोक लगाई गई है। उन्होंने कहा कि बैंकों के राष्ट्रीयकरण, कई निजी बैंकों की स्थापना, सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी विभिन्न बैंकों की शाखाओं की उपस्थिति, जन धन योजना के अंतर्गत बड़ी संख्या में ग्रामीणों का खाता खुलने, भारत सरकार की मुद्रा योजना के अंतर्गत व्यवसाय हेतु सुलभ ढंग से आवश्यकतानुसार ऋण की उपलब्धता तथा बैंकों एवं अन्य अधिकृत वित्तीय संस्थानों द्वारा ऋण की उपलब्धता को देखते हुए अब साहूकारी, महाजनी या सूदखोरी प्रथा के कायम रहने का कोई औचित्य भी नहीं था। अब इनकी उपस्थिति का अर्थ ग्रामीण और खासकर जनजातीय आबादी का शोषण ही था।

कामगारों के बैंक खाते खोलने को राष्ट्रव्यापी अ‎भियान

 संक्षिप्त खबरें 
नई दिल्ली : केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ‎वित्तीय सेवाएं ‎विभाग, ‎वित्त मंत्रालय के सहयोग से संग‎ठित तथा असंग‎ठित दोनों क्षेत्रों के उन कामगारों के बैंक खाते खोलने के ‎लिए एक राष्ट्रव्यापी अ‎भियान प्रारम्भ कर रहा है, ‎जिनके आज तक भी बैंक खाते नहीं हैं। 26 नवम्बर, 2016 से कामगारों को अपने बैंक खाते खोलने में सु‎विधा प्रदान करने हेतु प्रत्येक ‎जिले में ‎विशिष्ट स्थानों पर स्पेशल कैम्प आयो‎जित ‎किए जाएंगे। केंद्र सरकार ने ‎डिजिटल लेन-देन के मार्ग को पूर्व की अपेक्षा अ‎धिक पुरजोर ढंग से अपनाने का ‎निर्णय ‎लिया है। केंद्रीय श्रम एंव रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि इस संबंध में राज्य सरकारों का स‎क्रिय सहयोग प्राप्त करने हेतु सभी राज्य सरकारों को हम पहले ही पत्र भेज चुके हैं। बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि जिलाधीशों, बैंक के मुख्य ‎जिला प्रबंधकों एवं केन्द्र एवं राज्य सरकारों दोनों के श्रम अ‎धिका‎रियों को शा‎मिल करते हुए बनाए गए दल अपने ‎जिले में स्थल तथा बैं‎किंग चैनलों के साथ समन्वय स‎हित कैम्पों की रूपात्मकता ‎निर्धा‎रित करेंगे।
बंडारू दत्तात्रेय ने सभी प्र‎तिष्ठानों, ‎नियोक्ताओं एवं कर्मचारी संघों तथा सभी संबं‎‎धितों से आह्वान करते हुए कहा कि सबकी स‎क्रिय भागीदारी एवं सहयोग की अपेक्षा है, ता‎कि जरूरतमंद कामगारों की पहुंच इन ‎शिविरों तथा इनमें ‎मिलने वाली सेवाओं तक संभव हो सके। यह अ‎भियान आने वाले ‎दिनों में संबं‎धित बैंकों, उनके व्यावसा‎यिक प्र‎तिनिधियों एवं यथा-अपे‎क्षित ‎शिविरों के माध्यम से जारी रहेगा।
वित्तीय समावेशन को सु‎विधाजनक बनाने तथा सभी ‎वित्तीय लेन-देनों में पारद‎र्शिता सु‎निश्चित करने हेतु सरकार ने ‎सितम्बर, 2014 में अपनी सर्वोत्कृष्ट योजना जन धन योजना प्रारम्भ की। तब से देश भर में 25 करोड़ से अ‎धिक बैंक खाते खोले गए हैं और इस प्रकार कामकाजी वर्ग को ‎वित्तीय, बैं‎किंग क्रियाकलापों की मुख्य धारा से जोड़ा गया है। डीबीटी ने इस बैं‎किंग नेटवर्क के माध्यम से देश के करोड़ों गरीब नाग‎रिकों को लाभा‎न्वित ‎किया है।

13वें विश्व रोबोट ओलंपियाड का शुभारंभ 

नई दिल्ली : संस्कृति मंत्रालय और इंडिया स्टेम फाउंडेशन (आईएसएफ) के तत्वावधान में राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (एनसीएसएम) ने संयुक्त रूप से 13वें विश्व रोबोट ओलंपियाड का ग्रेटर नोयडा के इंडिया एक्सपो मार्ट में शुभारंभ किया। इस दो दिवसीय कार्यक्रम (26 और 27 नवम्बर) का उद्घाटन संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. महेश शर्मा के द्वारा किया गया। इस वर्ष के समारोह का विषय ‘’रैप द स्क्रैप’’ है। इस अंतर्राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में 51 देशों से 2000 से अधिक छात्र भाग ले रहे हैं। ये छात्र अपशिष्ट को कम करने, उसका प्रबंधन करने और पुनर्चक्रण के लिए रोबोटिक्स प्रौद्योगिकी का उपयोग कर अभिनव समाधानों का प्रदर्शन करेंगे। यह प्रतिस्पर्धा चार श्रेणियों - रेगुलर श्रेणी (प्राथमिक, जूनियर हाई, सीनियर हाई), डब्ल्यूआरओ फुटबॉल, खुली श्रेणी और अत्याधुनिक रोबोटिक्स चुनौती में 9 से 25 वर्ष आयु समूह के छात्रों के लिए आयोजित की जा रही है।

ई-पशु हाट पोर्टल लॉन्च

नई दिल्ली : केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के अवसर पर ई-पशु हाट www.pashuhaat.gov.in पोर्टल को लॉन्च किया। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा देश में पहली बार राष्ट्रीय  बोवाइन उत्पादकता मिशन के अंतर्गत ई पशुधन हाट पोर्टल स्थापित किया गया है।  यह पोर्टल देशी नस्लों के लिए प्रजनकों और किसानों को जोड़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस पोर्टल के द्वारा किसानों को देशी नस्लों की नस्लवार सूचना प्राप्त होगी। इससे किसान एवं प्रजनक देशी नस्ल की गाय एवं भैंसों को खरीद एवं बेच सकेंगे। देश में उपलब्ध जर्मप्लाज्म की सारी सूचना पोर्टल पर अपलोड कर दी गयी है। इससे किसान तुरंत लाभ उठा सकेंगे। इस तरह का पोर्टल विकसित डेयरी देशों में भी उपलब्ध नहीं है। इस पोर्टल के द्वारा देशी नस्लों के संरक्षण एवं संवर्धन को एक नई दिशा मिलेगी।

प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धतता 2015-16 में 340 ग्राम प्रतिदिन 

नई दिल्ली : केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि पिछले दो वर्षों 2014-15 तथा 2015-16 में दूध उत्पादन ने 6.28 फीसदी की विकास दर हासिल की है, जो पिछले वर्षों की लगभग 4 फीसदी विकास दर से कहीं अधिक है। राधा मोहन सिंह ने कहा कि इससे प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धतता 2013-14 के 307 ग्राम प्रति दिन से बढ़कर 2015-16 में 340 ग्राम प्रति दिन हो गई है, जो 5 फीसदी की विकास दर है और 2014-15 में 3 फीसदी से कम थी। केंद्रीय कृषि मंत्री ने यह बात राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में कही। भारत में श्वेत क्रांति के जनक डाॅ. वर्गीज कुरियन के जन्मदिन को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के रूप में मनाया जाता है।

गुरुवार, 24 नवंबर 2016

आदिवासी बच्चों को मिलेगा बिना परेशानी उच्च शिक्षा के लिए ऋण

 संक्षिप्त खबरें 
रांची : झारखंड के आदिवासी बच्चों को अब उच्च शिक्षा ऋण बिना किसी परेशानी के प्राप्त हो सकेगा। राज्य सरकार उनके लोन की सिक्यूरिटी की गांरटी लेगी। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस पर सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान कर दी है। झारखंड मंत्रालय में मुख्यमंत्री श्री दास की अध्यक्षता में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में आदिवासी बच्चों के शिक्षा ऋण की गांरटी के लिए एक कोष बनाकर राज्य सरकार के गारंटर बनने का सुझाव आया, जिस पर मुख्यमंत्री ने तत्काल सहमति प्रदान कर दी। 
वर्तमान में शिक्षा लोन के तहत 7.50 लाख रुपये का ऋण बिना गारंटी बैंकों द्वारा प्रदान किया जाता है। इससे ज्यादा राशि होने पर सिक्यूरिटी या गांरटी की मांग की जाती है। इस अतिरिक्त राशि पर राज्य सरकार गारंटर बनेगी। इसके लिए मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा फेलोशीप योजना के नाम से एक कोष का गठन किया जायेगा। इसमें 50 करोड़ रुपये का कोष बनाया जायेगा, जो लोन डिफॉल्ट होने की स्थिति में काम आयेगा। अनुसूचित जनजाति के साथ ही अनुसूचित जाति व ओबीसी के छात्रों को भी इसका लाभ मिलेगा।  
आदिवासी बच्चों को उच्च शिक्षा ऋण बिना परेशानी के मिले, इसके लिए ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (टीएसी) की बैठक में ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा की अध्यक्षता मे कमेटी का गठन किया गया है। गौरतलब है कि सीएनटी/एसपीटी एक्ट की कानूनी बाध्यता के कारण भूमि को बंधक रखे बिना बैंकों द्वारा शिक्षा ऋण नहीं दिया जा रहा था। किन शिक्षण संस्थानों, किन पाठ्यक्रमों तथा कितनी राशि तक का लोन दिया जा सकेगा, इसके लिए संबंधित विभागों को एक सप्ताह में रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया। 
साथ ही बैंकों को शिक्षा ऋण के लिए एक अलग वेब पोर्टल बनाने का निर्देश दिया। इसके माध्यम से लोन नहीं मिलने या देरी होने के कारणों का पता चलता रहेगा। बैठक में उन्होंने खूंटी-गुमला में एक ट्राइबल यूनिवर्सिटी खोलने व राज्य की हर यूनिवर्सिटी में एक स्टार्टअप इंक्यूवेशन सेंटर खोलने का निर्देश दिया। साथ ही कल्याण विभाग को अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति व ओबीसी प्राधिकरण को सुदृढ़ करने का भी निर्देश दिया।  
मुख्यमंत्री श्री दास ने अनुसूचित जनजाति के लोगों को व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए ऋण मिले, इसके लिए भी उपाय सुझाने को कहा है। इस संबंध में एक सप्ताह में कमेटी अपनी रिपोर्ट दे देगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के बदलते युग में हर कोई उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाह रहा है। पैसे की तंगी किसी होनहार के आड़े न आये, इसके लिए सरकार प्रतिबद्ध है। हमारे ट्राइबल बच्चे काफी मेहनती और कुशाग्र हैं। लेकिन अच्छे संस्थानों में पढ़ने के लिए पैसे नहीं हैं। कुछ लोगों ने केवल वोट बैंक की राजनीति की है। इन बच्चों के भविष्य को कैसे बेहतर बनाया जाये, इसपर काम नहीं किया। हमारी सरकार इस पर काम करेगी। उनकी जिंदगी में सुधार हो, इसके लिए हरसंभव उपाय किये जायेंगे।
बैठक में ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, कल्याण मंत्री डॉ लुईस मरांडी, शिक्षा मंत्री नीरा यादव, विकास आयुक्त अमित खरे, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव के विद्यासागर, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार, उच्च शिक्षा सचिव अजय कुमार सिंह, कल्याण सचिव हिमानी पांडेय, स्टेट बैंक आॅफ इंडिया के विश्व के. दास, उप महाप्रबंधक एससी पांडा, बैंक ऑफ इंडिया के महाप्रबंधक प्रसाद जोशी समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

प्रत्यार्पण करने वाले पूर्व माओवादी का किया गया पुनर्वास

जमशेदपुर : जिला समाहरणालय कक्ष में उपायुक्त अमित कुमार की अध्यक्षता में पुनर्वास समिति की बैठक हुई। बीते दिनों मंगल टुडू व संगीता किस्कू द्वारा किये गये स्वैच्छिक  आत्मसमर्पण के बाद बैठक में दोनों के पुनर्वास का निर्णय लिया गया तथा दोनों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने हेतु निम्नांकित निर्णय लिये गये। निर्णय अनुसार 2 लाख 50 हजार रुपए पुनर्वास अनुदान के रूप में दिया जाएगा, जो दो किस्तो में देय होगा, इस बीच विशेष शाखा द्वारा उनकी गतिविधियों पर भी नजर रखी जाएगी। उनकी इच्छानुरूप व्यवसायिक प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की जाएगी, इस स्थिति में उन्हें एक वर्ष तक 3000 रुपए मासिक प्रतिमाह दिया जाएगा। इतना ही नहीं, गृह निर्माण हेतु 4 डिसमिल जमीन, पात्रता की स्थिति में इंदिरा आवास, मुख्यमंत्री कन्यादान, स्वरोजगार हेतु 2 लाख तक का ऋण, सरकारी प्रीमियम पर 5 लाख का बीमा आदि सुविधाएं भी राज्य सरकार के तरफ से दी जा रही हैं।
उक्त सभी प्रावधान झारखंड सरकार गृह विभाग, रांची के आदेश के आलोक में जिला पुनर्वास समिति की अनुशंसा पर किये गये हैं। समिति में उपायुक्त कुमार के अलावा एसएसपी, डीडीसी, एसपी ग्रामीण, समादेष्टा गृह रक्षा वाहिनी, महाप्रबंधक जिला उद्योग केन्द्र तथा एलडीएम शामिल हैं।

वित्तीय वर्ष 2015-16 में 40,638.36 करोड़ रुपये के राजस्व की प्राप्ति

 संक्षिप्त खबरें 
पिछले वित्तीय वर्ष 2014-15 की तुलना में 28.75 प्रतिशत अधिक
रांची : विकास आयुक्त-सह-अपर मुख्य सचिव, योजना-सह-वित्त विभाग अमित खरे ने जानकारी दी कि वित्तीय वर्ष 2015-16 के वित्त लेखे एवं विनियोग लेखे का झारखंड विधान सभा के पटल पर उपस्थापन किया गया। उन्होंने बताया कि महालेखाकार, झारखंड द्वारा तैयार किये गये वित्त लेखे के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2015-16 में झारखंड रेवेन्यू सरप्लस रहा है। वित्तीय वर्ष 2014-15 में जहां 230.34 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा था, वहीं वित्तीय वर्ष 2015-16 मंे राजस्व घाटा को समाप्त कर राजस्व अतिरेक 4,085.53 करोड़ रुपये है, जो कुल जीएसडीपी का 1.80 प्रतिशत है। 
अमित खरे ने कहा कि प्रतिवेदन के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2015-16 में कुल 40,638.36 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति हुई, जो वित्तीय वर्ष 2014-15 की तुलना में 9,073.80 करोड़ रुपये अधिक है, पिछले वर्ष की तुलना में यह 28.75 प्रतिशत अधिक है। वित्तीय वर्ष 2014-15 में कुल 40,041.50 करोड़ रुपये की तुलना में वित्तीय वर्ष 2015-16 में कुल 54,437.27 करोड़ रुपये व्यय हुए। कुल प्राप्ति में 13,767.85 करोड़ रुपये की ऋण उगाही में 5,553.37 करोड़ रुपये उदय योजना के अन्तर्गत लिये गये ऋण शामिल है। 
विकास आयुक्त ने जानकारी दी कि वित्तीय वर्ष 2015-16 में कुल 31,287.07 करोड़ रुपये का योजना व्यय हुआ है, जो वित्तीय वर्ष 2014-15 के कुल 18,745.38 करोड़ रुपये के योजना व्यय की तुलना में 66.91 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 12,541.69 करोड़ रुपये से अधिक है। उदय योजना छोड़कर भी वृद्धि दर 37.28 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि योजना व्यय में महत्वपूर्ण यह है कि वित्तीय वर्ष 2015-16 में पूंजीगत व्यय 15,494.05 करोड़ रुपये था, जो विगत् वित्तीय वर्ष 2014-15 में पूंजीगत् योजना व्यय 6,309.46 करोड़ रुपये से दुगने से भी अधिक है। 
उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटा भी, जो वित्तीय वर्ष 2014-15 में राज्य सकल घरेलू उत्पाद का 3.32 प्रतिषत था, वित्तीय 2015-16 में घटकर (उदय योजना को छोड़कर) राज्य सकल घरेलू उत्पाद का 2.64 प्रतिशत हो गया है। ज्ञात हो कि भारत सरकार के दिशा-निर्देश के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2015-16 में ऊर्जा विभाग के उदय योजना के लिए लिये गये ऋण को राजकोषीय घाटा के आकलन में शामिल नहीं किया जाना है।

झारखंड दिवस पर गूंजी पारंपरिक संस्कृति की गूंज

नई दिल्ली : कहीं नागपुरी डांस की चमक, तो कहीं मुंदरी डांस का धमाल, कहीं संथाली डांस की धमक, तो कहीं छउ डांस का जलवा। झारखंड पवेलियन में आयोजित झारखंड दिवस समारोह के दौरान बिलकुल ऐसा ही नजारा देखने को मिला। इस अवसर पर झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद थीं। प्रगति मैदान में 36वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में झारखंड दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने समारोह का शुभारम्भ किया और पवेलियन का मुआयना भी किया। उन्होंने पवेलियन में मौजूद सभी प्रदर्शकों को बधाई दी और उनका हौसला भी बढ़ाया। सभी स्टाल्स पर उनका भव्य स्वागत किया गया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि उन्हें बहुत खुशी है कि मेले में झारखंड साझीदार प्रदेश की भूमिका निभा रहा है। उन्होने कहा कि यहां आकर उन्हें बहुत खुशी हुई। पवेलियन के सभी स्टॉल धारक झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। राज्य सरकार इन सभी उद्यमियों को प्रोत्साहन और बढ़ावा देने के उद्देश्य से लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम तथा अत्यंत लघु श्रेणी के उद्यमियों के लिए योजनाएं चला रही है। राज्य में नए उद्योग एवं निवेश की संभावनाओं को बढ़ाने एवं रोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराने के साथ ही उद्यमियों के समक्ष नई उद्योग नीति को मंजूरी दी गई है।
उन्होंने कहा कि स्टार्ट अप इंडिया की तर्ज पर स्टार्ट अप झारखंड की कार्य योजना तैयार की जा रही है। विकास की अविरल धारा को निरंतर गति देने के लिए कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार एवं सबके लिए आवास से संबंधित योजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। ये प्रयास लगातार तेज किए जा रहे हैं। इसके बाद शाम को हंसध्वनि थिएटर में सांस्कृतिक समारोह का आयोजन किया गया। इसमें झारखंड के लोक कलाकारों ने प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वल्लित कर की गई। 
इसके अंतर्गत शंकर नायक एंड ग्रुप ने नागपुरी डांस की प्रस्तुति दी। इसके बाद गरू मुंडा ग्रुप ने मुंदरी डांस, साखर पहन ग्रुप ने करसा डांस, फगुआ भगत एंड ग्रुप ने ओरावन डांस, गुलाब सिंह मुंडा एंड ग्रुप ने पाइका डांस, रसिक बसकी एंड ग्रुप ने संथली डांस, जगरनाथ महतो एंड ग्रुप ने छउ डांस की प्रस्तुति दी। अंत में सभी कलाकारों ने मिलकर फ्यूजन प्रस्तुति दी। इस अवसर पर प्रधान स्थानिक आयुक्त झारखंड, डीके तिवारी, सचिव, उद्योग खान एवं भूतत्व विभाग, सुनील कुमार बर्णवाल, निदेशक उद्योग खान एवं भूतत्व विभाग, के. रवि कुमार भी मौजूद थे।

बुधवार, 23 नवंबर 2016

ग्रामीण क्षेत्रों में ‘सभी के लिए आवास’ का शुभारंभ

 संक्षिप्त खबरें 
नई दिल्ली : प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रधान मंत्री आवास योजना - ग्रामीण का शुभारंभ आगरा से किया गया। इसके अन्तर्गत सभी ग्रामीण परिवारों को वर्ष 2022 तक पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित व पक्के घर उपलब्ध कराने का प्रावधान है। नवीन योजना में तालमेल के माध्यम से लाभार्थी को प्रति इकाई लगभग 1.50-1.60 लाख रु. उपलब्ध होंगे। लाभार्थी की इच्छा पर रु. 70,000 की राशि के ऋण का भी प्रावधान है। प्रधान मंत्री ने मंच के पास प्रदर्शित कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों की आवश्यकतानुसार तैयार किए गए 200 से अधिक भवन डिजाइन में से लगभग 40 डिजाइनों का अवलोकन किया तथा ग्रामीण राजमिस्त्री प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूर्ण करने वाले उम्मीदवारों से मुलाकात की। प्रधान मंत्री द्वारा आगरा जिले के लाभान्वितों को प्रधान मंत्री आवास योजना - ग्रामीण के अंतर्गत स्वीकृति पत्र भी दिए गए।
मार्च, 2019 तक एक करोड़ घर निर्मित किए जाएंगे। लाभान्वितों का चयन सामाजिक-आर्थिक जनगणना, 2011 के आधार पर तथा ग्राम सभा के अनुमोदन से किया गया है। भवनहीन तथा एक या दो कमरे के कच्ची छत कच्ची दीवार के मकान में रहने वाले गरीब परिवारों को इस कार्यक्रम में शामिल किया गया है। स्थानीय निर्माण सामग्री के अधिकतम उपयोग के साथ रसोई, बिजली कनेक्शन, एलपीजी, स्नानघर व शौचालय के प्रावधानों से युक्त कर आवास को एक पूर्ण रूप दिया गया है। लाभान्वितों को भुगतान पूरी तरह आईटी/डीबीटी के माध्यम से किया जाएगा तथा आईसीटी व स्पेस टेक्नॉलोजी (अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी) के उपयोग से कार्य की प्रगति का अनुश्रवण आवाससॉफ्ट एमआईएस पर किया जाएगा। प्रधान मंत्री ने ऐसे लाभान्वितों से भी बातचीत की, जिनके घर का निर्माण नए डिजाइन के प्रयोग से प्रशिक्षण के क्रम में किया गया।

किसान 500 रुपये के पुराने नोटों से खरीद सकेंगे बीज

नई दिल्ली : बीज केंद्र और राज्य सरकारों, सार्वजनिक प्रतिष्ठानों, राष्ट्रीय और राज्य बीज निगमों, केंद्रीय और राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों तथा आईसीएआर के केंद्रों से खरीदे जा सकेंगे। सरकार ने रबी फसल के लिए किसानों को समर्थन देने के वास्ते उन्हें 500 रुपये के पुराने नोटों से केंद्र और राज्य सरकारों, सार्वजनिक प्रतिष्ठानों, राष्ट्रीय और राज्य बीज निगमों, केंद्रीय और राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों तथा आईसीएआर के केंद्रों से पहचान पत्र प्रस्तुत करके बीज खरीदने की अनुमति देने का निर्णय लिया है। इससे पहले किसानों को नकदी उपलब्ध कराने के लिए सामान्य ऋण सीमा शर्तों के अंतर्गत उनके केवाईसी अनुपालक बैंक खातों से 25,000 रुपये प्रति सप्ताह निकालने की अनुमति देने का निर्णय 17 नवम्बर, 2016 लिया गया था। बीज खरीदने की अनुमति देने का सरकार का निर्णय पहले के निर्णय के अतिरिक्त है।

2015-16 में एक लाख करोड़ का मत्स्य उत्पादन हुआ

नई दिल्ली : केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि देश में मात्स्यिकी और जल कृषि में हुई तेज प्रगति से मछली पालकों और किसानों की आमदनी लगातार बढ़ रही है और आने वाले दिनों में यह बड़े पैमाने पर मछली पालकों और किसानों को आर्थिक लाभ पहुंचाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्री ने ये बात विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में कही।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि पशुधन विकास, किसानों की आय दोगुनी करने की सबसे अच्छी रणनीति है। यही वजह है कि वर्ष 2016-17 के लिए इस विभाग के लिए रुपया 1700 करोड़ का बजट रखा गया है, जो पिछले वर्ष से 21 फीसदी अधिक है। श्री सिंह ने कहा कि खुशी की बात है कि इस वर्ष, 72 फीसदी से अधिक बजट राज्यों के विकास के लिए जारी कर दिया गया है, जो पिछले वर्षों में इतनी तेजी से कभी नहीं हुआ। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि अब राज्यों की जिम्मेदारी है कि वे इसे उचित तरीके से खर्च करें और फंड पार्किंग न करें।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि पशुधन, डेयरी, मात्स्यिकी विभाग पिछले 6 महीनों से अथक प्रयास कर कई नई योजनाओ को अंजाम दे रहा है। विभाग ने दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए देशी गाय की नस्लों के सुधार हेतु ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’, चैपायों तथा भेड़ बकरी की उच्च नस्ल के विकास हेतु ‘राष्ट्रीय लाईवस्टॉक मिशन’ आदि चलाया है। श्री सिंह ने बताया कि अकेले दुग्ध उत्पादन का मूल्य जो कि वर्ष 2014-15 में रुपया 4.92 लाख करोड़ था, का धान व गेहूं के सकल उत्पादन से 37 फीसदी तक अधिक है। वर्ष 2015-16 के अनुमान के अनुसार, लगभग एक लाख करोड़ रुपए का मत्स्य उत्पादन देश में हुआ है।

रविवार, 20 नवंबर 2016

कानपुर रेल दुर्घटना में बिहार के मृतकों के आश्रितों को दो लाख रुपये व गंभीर रूप से घायलों को पचास हजार रुपय मिलेंगे : नीतीश

 संक्षिप्त खबरें 
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उत्तर प्रदेश के कानुपर के पास पुखरायां में हुए इंदौर-पटना एक्सप्रेस रेल दुर्घटना को दुखद बताते हुये इस रेल दुर्घटना में बिहार के रहने वाले मृतकों के आश्रितों को दो लाख रुपये अनुग्रह अनुदान एवं गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों के परिजनों को पचास हजार रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष से देने की घोषणा की है।
ज्ञात हो कि नोटबंदी के बाद बिहार के मजदूर, जो दूसरे राज्यों में जाकर काम करते हैं, काम बंद हो जाने के कारण बड़ी संख्या में अपने घर लौटने लगे हैं। साथ ही शादी-ब्याह का मौसम है। ऐसे में यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि इस ट्रेन से काफी संख्या में बिहार के लोग अपने-अपने घरों को लौट रहे थे।

BOGSCON-2016 का उद्घाटन

पटना : ‘‘मौजूदा वर्ष को कन्या शिशु वर्ष घोषित किया गया है, इसलिए कन्याओं की स्वास्थ्य रक्षा हम सबका दायित्व है। महिलाएं समाज के हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का व्यापक प्रदर्शन कर रही हैं। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ सिर्फ एक नारा नहीं है, बल्कि मानव-जाति एवं मानव सभ्यता के विलुप्त होने की संभावना के खिलाफ हमारा शंखनाद है।’’ उक्त उद्गार महामहिम राज्यपाल रामनाथ कोविन्द ने स्थानीय होटल मौर्या में आयोजित स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों की महत्वपूर्ण संस्था Patna Obstetric & Gynecological Society, Patna के 25वें द्विवार्षिक सम्मेलन 'BOGSCON-2016' का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किये।
उक्त कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि जब एक किशोरी को कम उम्र की शादी एवं कम अन्तराल पर ज्यादा बच्चा जनने के खतरों के प्रति आगाह कर दिया जाएगा, तो भविष्य खुद सुरक्षित हो जायेगा। इस संबंध में पुरुष-वर्ग से भी पर्याप्त सहयोग एवं संवेदनापरक व्यवहार की अपेक्षा है। सामाजिक हैसियत एवं पुत्र पाने की अभिलाषा भी कन्या भ्रूण-हत्या की समस्या को गहन कर रही है। जबकि सच्चाई यह है कि आधुनिक भारतीय संदर्भ में पुत्र एवं पुत्री में विभेद की परम्परा आज अत्यन्त अप्रासंगिक, अनैतिक एवं अनुचित सिद्ध हो रही है। समाज के हर प्रक्षेत्र में नारियां पुरुषों से ज्यादा बेहतर रूप में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही हैं। ऐसे परिवेश में यह आवश्यक है कि बालिका-भ्रूण की रक्षा के प्रति जन-जागरूकता विकसित की जाय और मौजूदा कानूनी प्रावधानों को भी सख्ती से लागू किया जाये।
कार्यक्रम को कटक से आये डाॅ. पीसी महापात्रा, ‘यूनीसेफ’ के बिहार-प्रमुख श्री यामीन मजुमदार, संस्था की नव-निर्वाचित अध्यक्ष डाॅ. आभा रानी सिन्हा, पूर्व अध्यक्ष डाॅ. कुमकुम सिन्हा, डाॅ. अमृता शरण, डाॅ. विनीता सिंह आदि ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर विभिन्न महिला चिकित्सकों को पुरस्कृत भी किया गया तथा ‘स्मारिका’ भी लोकार्पित की गई।

Historic Patna Series-III पुस्तक का लोकार्पण

पटना : राजभवन सभागार में महामहिम राज्यपाल रामनाथ कोविन्द ने डाॅ. एमआर काजमी एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी एम. कुमार द्वारा संयुक्त रूप से लिखित पुस्तक "Historic Patna Series-III" को लोकार्पित किया। पुस्तक का लोकार्पण करते हुए श्री कोविन्द ने कहा कि पटना नगर की ऐतिहासिकता, समृद्ध विरासतों और सांस्कृतिक वैभव की बड़ी उत्कृष्ट प्रस्तुति इस पुस्तक में की गई है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में कई दुर्लभ पुराने छायाचित्रों को भी संग्रहित किया गया है।
उन्होंने कहा कि पटना नगर के बारे में कई ऐतिहासिक तथ्यों के बारे में लेखक-द्वय ने शोधपरक तरीके से विषयवस्तु का उपस्थापन किया है। राज्यपाल ने कहा कि पटना की खुदाबख्श लाइब्रेरी, पटना विश्वविद्यालय की सेन्ट्रल लाइब्रेरी, सिन्हा लाइब्रेरी, केजी जायसवाल इंस्टीच्यूट, गांधी संग्रहालय, बिहार रिसर्च सोसाइटी, पटना संग्रहालय, अभिलेखागार आदि संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण करते हुए इन्हें बिहार की ऐतिहासिक समृद्धि पर आधारित शोध-कार्यों को बढ़ावा देने में उन्मुख होना चाहिए। कार्यक्रम में दोनों लेखकों - एम. कुमार एवं डाॅ. एमआर काजमी द्वारा पुस्तक की उपयोगिता एवं सार्थकता पर विचार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम में राज्यपाल के प्रधान सचिव डाॅ. ईएलएसएन बाला प्रसाद, डाॅ. आरएन सिंह, कमलेश, विजय कुमा सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

11 गोरखा समुदायों को एसटी का दर्जा देने पर राज्यों से सुझाव मांगे

 संक्षिप्त खबरें 
नई दिल्ली : केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय ने सिक्किम और गोरखा आबादी की बहुलता वाले अन्य राज्यों एवं क्षेत्रों में रहने वाले 11 गोरखा समुदायों अर्थात भूजेल, गुरुंग, मंगर, नेवार, जोगी, खस, राय, सुनवर, थामी, याखा, (दीवान) और धीमल को ‘एसटी’ का दर्जा देने के मसले पर विभिन्न राज्यों से उनके विचार आमंत्रित किए हैं। राज्यों से इन समुदायों के संदर्भ में ऐतिहासिक एवं मानव जाति विज्ञान संबंधी विवरण के साथ-साथ शिक्षा, व्यवसायिक स्थिति इत्यादि सहित जनसांख्यिकीय प्रोफाइल भी देने का आग्रह किया है। राज्यों को यदि इन समुदायों की ओर से कोई ज्ञापन मिलता है, तो वे इन्हें भी आगे सुपुर्द कर सकते हैं। 
उल्लेखनीय है कि जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 14 सितंबर, 2016 के अपने आदेश के तहत एक समिति गठित की है, जिसे इन समुदायों को एसटी का दर्जा देने के मसले पर गौर करने और फिर इस आशय की सिफारिश करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जनजातीय कार्य मंत्रालय में उप महानिदेशक विष्णु मणि इस समिति की अध्यक्ष हैं। समिति से कहा गया है कि वह सिक्किम एवं गोरखा आबादी की बहुलता वाले अन्य समस्त संबंधित राज्यों की सरकारों से सलाह-मशविरा करे और इन समुदायों के लिए आरक्षण की निष्पक्षता सुनिश्चित करने की व्यवस्था के साथ इन्हें एसटी का दर्जा देने पर सुझाव दे। समिति से तीन माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है। 

राष्ट्रीय बीज निगम ने 11.46 करोड़ रुपये का लाभांश दिया

नई दिल्ली : राष्ट्रीय बीज निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक विनोद कुमार गौड़ ने कृषि और किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह को 11.46 करोड़ रुपये का लाभांश चेक भेंट किया। राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड (एनएससी) ने भारत सरकार को अबतक का सबसे अधिक 11.46 करोड़ रुपये का लाभांश दिया है। यह लाभांश प्रदत्त इक्विटी शेयर पूंजी का 23 प्रतिशत और पीएटी का 26 प्रतिशत है। इस अवसर पर कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव एसके पटनायक भी उपस्थित थे। 

शहरी स्वच्छ भारत जागरूकता अभियान में अलीगढ़ सबसे आगे

नई दिल्ली : सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) प्रयासों पर इस पखवाड़े के दौरान शौचालयों की कार्यक्षमता को बढ़ावा देने के लिए 500 शहरों के स्वच्छ सर्वेक्षण में विशेष महत्व दिया जाएगा। शहरी विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ सर्वेक्षण - 2017 के तहत 500 शहरों में आवश्यक पाक्षिक विषयगत गतिविधियों के अधीन चलाई गई स्वच्छ जागरूकता गतिविधियों में अलीगढ़ सबसे आगे हैं। मंत्रालय की आईईसी (सूचना, शिक्षा और संचार) गतिविधियों के मूल्यांकन के दौरान अलीगढ़ ने सबसे अधिक अंक अर्जित किए हैं। आईईसी कार्य प्रदर्शन का मंत्रालय द्वारा मूल्यांकन किया गया है, जबकि स्वच्छ सर्वेक्षण - 2017 के अन्य मानकों का मूल्यांकन भारतीय गुणवत्ता परिषद द्वारा किया जाएगा।
सभी शहरों से पार्कों, सरकारी कार्यालयों, आवासीय काॅलोनियों, पर्यटन स्थलों, स्कूलों आदि की साफ-सफाई और सफाई कामगारों के कल्याण के बारे में मीडिया कवरेज के सबूत के साथ नागरिकों को शामिल करके आईईसी गतिविधियों पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था। इस संबंध में अन्य शीर्ष 10 शहर हैं - वसई-विरार (महाराष्ट्र), हैदराबाद, गुरुग्राम, चंडीगढ़, मदुरै (तमिलनाडु), वडोदरा और राजकोट (गुजरात), तिरुपति (आंध्र प्रदेश) और मैसूर (कर्नाटक)। इन शहरों को सर्वेक्षण 2017 के तहत आईईसी के लिए 50 प्रतिशत आवंटित भार के अधीन अंक दिए गए हैं।

गुरुवार, 17 नवंबर 2016

प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता प्रतिदिन 337 ग्राम

👀     2021-22 तक प्रतिदिन 500 ग्राम हो जाने की संभावना
👀     दूध एवं दूध उत्पादों की मांग में वृद्धि हो रही है
👀     2025 तक दूध की मांग बढ़कर 24 करोड़ टन हो जाने की संभावना
👀    भारत कृषि रसायनों (कीटनाशकों) का सबसे कम खपत करने वाला देश
नई दिल्ली : केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि डेयरी में लगे लोगों की मेहनत और केन्द्र सरकार के अथक प्रयासों की वजह से भारत ने दूध उत्पादन में 4.2 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर हासिल कर विश्व के 2.2 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर को पीछे छोड़ दिया है। 2015-16 में भारत में दूध उत्पादन की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही। कृषि मंत्री ने ये बात राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड में डेयरी उद्योग के हितधारक सम्मेलन में कही। श्री सिंह ने कहा कि दूध उत्पादन में वृद्धि से देश में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता प्रतिदिन 337 ग्राम के मौजूदा स्तर से 2021-22 तक प्रतिदिन 500 ग्राम हो जाने की संभावना है। इस योजना में 2242 करोड़ रुपये खर्च होंगे। उन्होंने कहा कि पशु स्वास्थ्य की दिशा में लगातार जागरुकता फैलाना और पशु स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना भी बेहद जरूरी है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि भारत 15 वर्षों से दूध उत्पादन में विश्व में नंबर वन बना हुआ है और इसका श्रेय छोटे दूध उत्पादकों को जाता है। उन्होंने कहा कि दूध एवं दूध उत्पादों की मांग में वृद्धि हो रही है और 2025 तक दूध की मांग बढ़कर 24 करोड़ टन हो जाने की संभावना है। 
राधा मोहन सिंह ने कहा कि डेयरी में विज्ञान और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करना अब बेहद जरूरी हो गया है, क्योंकि भारत में दुनिया की सबसे अच्छी गौ प्रजातियां होने के बावजूद यहां दूध की उत्पादकता नहीं बढ़ रही है। श्री सिंह ने बताया कि कृषि मंत्रालय ने दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें गोकुल मिशन प्रमुख है। इसके अंतगर्त वर्ष 2014-15 से 2016-17 के लिए 500 करोड़ की धनराशि का प्रावधान किया गया है। विश्व बैंक और केन्द्र सरकार के सहयोग से एनडीडीबी ने केन्द्रीय क्षेत्र योजना राष्ट्रीय डेयरी योजना चरण-1 (एनडीपी-1) के तहत कई कदम उठाए हैं। इसमें गोजातीय आबादी में अनुवांशिक सुधार, गांवों में बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाना और दूध उत्पादकों को अतिरिक्त दूध बेचने के अवसर मुहैया कराना शामिल है। एनडीपी-1 की शुरुआत 14 राज्यों से हुई थी और अभी इसे झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और तेलंगाना सहित 18 राज्यों में चलाया जा रहा है।
केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि विकास के लिए दूध उत्पादन में 6 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होनी चाहिए। इसके लिए उन्नत प्रौद्योगिकी, क्षमता निर्माण, मार्केटिंग, वैज्ञानिक पशु प्रबंधन, दूध उत्पादन से संबंधित जानकारी और बेहतर ऋण सुविधा से संचालित डेयरी जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि डेयरी में महिलाओं और युवाओं को अच्छा रोजगार मिल रहा है। वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करनी है और इस लक्ष्य को हासिल करने में डेयरी की अहम भूमिका है।
राधा मोहन सिंह ने इसके बाद नेशनल एग्रिकल्चरल साइंस कॉम्प्लेक्स, पूसा में सोसायटी ऑफ पेस्टीसाइड साइंस इंडिया के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि फसल के विभिन्न रोगों और कीटों ने खाद्य उत्पादन पर गंभीर प्रभाव डाला है। इन कीटों तथा बीमारियों के कारण वैश्विक स्तर पर फसल उत्पादन में 15 से 25 प्रतिशत प्रतिवर्ष तक की कमी हो रही है। यह अनुमान है कि कृषि उत्पादन में विभिन्न स्तरों तथा भंडारण के दौरान कीटों, बीमारियों, खर पतवार, चूहों, पक्षियों और निमेटोड्स आदि के कारण कुल फसल उत्पादन का 35 प्रतिशत नष्ट हो जाता है। कीटनाशकों की खपत में भारत दुनिया में 10वें स्थान पर है और यह कृषि रसायनों (कीटनाशकों) का सबसे कम खपत करने वाला देश है। पहले कीटनाशकों की प्रयोग दर 2 से 5 कि ग्राम. प्रति हैक्टेयर थी, जो घटकर 100 से 200 ग्राम प्रति हैक्टयर तक आ गयी है। पिछले कुछ सालों में कीटनाशकों के अवशेष कई फसलों में पाये जाने के कारण कृषि उत्पादों के निर्यात पर प्रभाव पड़ा है। इसलिए इनके माॅनीटरिंग की आवश्यकता है।
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भगवान बिरसा मुण्डा की जयंती मनायी गयी

 संक्षिप्त खबरें 
पटना : भगवान बिरसा मुण्डा की जयंती राज्य में पूरे हर्ष उल्लास के साथ मनायी गयी। जगह-जगह पर समारोह आयोजित कर उन्हें शत्-शत् नमन किया गया तथा उनके कुर्बानियों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। पटना में भगवान बिरसा मुण्डा की जयंती के अवसर पर राजकीय जयंती समारोह का आयोजन सिंचाई भवन के निकट 42, क्रांति मार्ग के तिकोन में अवस्थित भगवान बिरसा मुण्डा के प्रतिमा स्थल पर की गई। यहां राज्यपाल रामनाथ कोविंद, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चैधरी, विधायक श्याम रजक, विधान पार्षद संजय कुमार सिंह उर्फ गांधीजी, पूर्व महासचिव बिहार राज्य नागरिक परिषद छोटू सिंह, पूर्व सदस्य बिहार राज्य खाद्य आयोग नन्द किशोर कुशवाहा, प्रदेश सचिव जदयू किसान प्रकोष्ठ चन्द्रिका सिंह दांगी, सामाजिक कार्यकर्ता कुलवंत सिंह सलूजा, अरविंद निषाद, कुमुद वर्मा, ओम प्रकाश सिंह सेतु सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने भगवान बिरसा मुंडा के आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें शत्-शत् नमन किया एवं श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर सूचना जनसम्पर्क विभाग के कलाकारों द्वारा आरती-पूजन एवं देशभक्ति गीतों का गायन भी किया गया।

अधिष्ठात्री परिषद की बैठक संपन्न

पटना : राजभवन में राज्यपाल राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता में प्राकृत जैनशास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान, वैशाली की अधिष्ठात्री परिषद की बैठक संपन्न हुई, जिसमें राज्य के शिक्षा मंत्री अशोक चैधरी भी शामिल हुए। बैठक में संस्थान के अधिष्ठाता सह राज्यपाल राम नाथ कोविन्द ने वर्षों के लंबे अन्तराल के बाद आयोजित उक्त बैठक को नियमित तौर पर आयोजित करने का निर्देश दिया। राज्यपाल ने कहा कि ऐसी संस्थाओं की सक्रियता भारतीय संस्कृति और प्राचीन विरासतों की सुरक्षा और विकास के लिए अत्यन्त आवश्यक है। उन्हांेने कहा कि संस्था को अपनी वार्षिक कार्य-योजना बनाते हुए, तद्नुरूप चरणबद्ध रूप से जैनशास्त्र के विकास हेतु कार्य करना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि संस्था को शोध कार्यों को आधुनिक संसाधनों से जोड़ते हुए नई प्रविधियों के अनुरूप विकसित करना चाहिए। बैठक को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री अशोक चैधरी ने कहा कि इस संस्था की गतिविधियों को और अधिक विकसित किये जाने की आवश्यकता है। शिक्षा मंत्री ने संस्था के निदेशक को अधिक तत्परता और निश्चित समय सीमा के अन्तर्गत प्राप्त होने वाले सरकारी आर्थिक सहयोग का सदुपयोग करने को कहा।
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि संस्था की गतिविधियों को विकसित करने के लिए एक पांच सदस्यीय समिति गठित की जाय, जो आगामी 31 दिसम्बर तक एक कार्य-योजना बनाकर अधिष्ठात्री समिति के समक्ष प्रस्तुत करे। इस समिति मंे बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर तथा कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपतियों के अतिरिक्त, निदेशक (उच्च शिक्षा), संयुक्त सचिव (राज्यपाल सचिवालय), प्राकृत जैनशास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान के निदेशक तथा बीएल इन्सटीच्यूट आॅफ इंडोलाॅजी के निदेशक को रखते हुए यह निर्देशित किया गया कि उक्त समिति 31 दिसम्बर, 2016 तक कार्य योजना निश्चित रूप से प्रस्तुत कर दे, ताकि अधिष्ठात्री समिति जनवरी, 2017 के दूसरे या तीसरे सप्ताह की कोई एक तिथि सुनिश्चित कर इसपर समुचित निर्णय ले सके। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष-सह-तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त, कार्यकारिणी समिति की भी एक बैठक अपने यहां आयोजित करते हुए संस्थान की गतिविधियों की समीक्षा करेंगे।

शनिवार, 12 नवंबर 2016

‘हुनर हाट’ के लोगो का लोकार्पण

  • ‘हुनर हाट’ का भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला-2016 में आयोजन किया जाएगा
  • प्रदर्शनी का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों के कारीगरों को बढ़ावा देना
नई दिल्ली : केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों (स्वतंत्र प्रभार) और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने ‘हुनर हाट’ के लोगो का लोकार्पण किया और इस अवसर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। इस प्रदर्शनी का अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की योजना ‘उस्ताद’ (परंपरागत कला / शिल्प के विकास कौशल का उन्नयन और प्रशिक्षण) के तहत राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम (एनएमडीएफसी) द्वारा प्रगति मैदान के हॉल संख्या 14 में किया जा रहा है। इस लोगो का उपयोग भविष्य में भी प्रदर्शनियों की ब्रांडिंग के लिए किया जाएगा।
मीडिया को जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि ‘हुनर हाट’ में 26 राज्यों के 184 से अधिक दक्ष हुनरबाज अपनी परंपरागत कला और कौशल का प्रदर्शन करेंगे। हुनर हाट 14 से 27 नवंबर तक लगने वाले भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला - 2016 में आयोजित की जा रही है। सभी दस्तकारों और कारीगरों को निःशुल्क स्टाल प्रदान करने के अलावा मंत्रालय उनके परिवहन की व्यवस्था करेगा और दैनिक खर्चा प्रदान करेगा, ताकि वे दिल्ली पहुंच सकें और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में अपनी कला / कौशल को प्रदर्शित कर सकें।
नकवी ने कहा कि हुनर हाट (कौशल हाट) प्रदर्शनी का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों के कारीगरों को बढ़ावा देना और उनकी मदद करना है, ताकि वे घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अपने उत्पादों का प्रदर्शन कर सकें और उन्हें बेच सकें। हुनर हाट में 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आने वाले कारीगर एकत्र होंगे। उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी में पूर्वोत्तर राज्यों में बांस से बनी कलाकृतियां, उत्तर प्रदेश के दस्तकारों का कपड़ा और कढ़ाई कार्य, पीतल की कलाकृतियां, जारदोजी कपड़े का काम, दक्षिणी राज्यों के मिट्टी के बर्तनों के काम का संग्रह, बिहार-झारखंड से चंदन और अन्य लकड़ी की कलाकृतियां, बंगाल-ओडिशा से घरेलू उपयोग की वस्तुएं और एलोवेरा, नीम, तुलसी आदि से बने हर्बल उत्पाद शामिल हैं।
हुनर हाट में राजस्थान की संगमरमर की वस्तुएं, गुजरात की सुंदर हस्तशिल्प, कश्मीर के पशमीना और कांस्य के काम का प्रदर्शन किया जाएगा। कारीगर व्यापार मेले में अपने कौशल का जीवंत प्रदर्शन करेंगे। उस्ताद योजना का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय की परंपरागत कला और विरासत का संरक्षण करना और उसे बढ़ावा देना है। वैश्विकरण और प्रतिस्पर्धी बाजार के कारण इन दस्तकारों के रोजगार धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं। युवा पीढ़ी को आजीविका के लिए अलग-अलग रास्ते खोजने पर मजबूर होना पड़ रहा है। भारतीय व्यापार मेला एक राष्ट्रीय और अतंर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी है, जिसमें एक छत और एक प्लेटफाॅर्म पर अल्पसंख्यक समुदाय के शिल्पकारों को अपने उत्पादों का प्रदर्शन करने और उन्हें बेचने का एक बड़ा अवसर उपलब्ध होने की उम्मीद है।
इस हुनर हाट में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, लेह-लद्दाख, नागालैंड, केरल के कारीगर भाग ले रहे हैं। हुनर हाट में मंत्रालय, एनएमडीएफसी और घटक संगठनों की योजनाओं और कार्यक्रमों का दृश्य-श्रव्य चित्रण प्रदर्शित करने के लिए एक विशेष मंडप की स्थापना की गई है। इससे मंत्रालय की योजनाओं और कार्यक्रम के बारे में जागरुकता पैदा करने के बारे में मदद मिलेगी, ताकि लोग इन योजनाओं के तहत सहायता प्राप्त कर सकें।

बुधवार, 9 नवंबर 2016

आज से 500 और 1000 के नोट बंद

New note of Rs. 2000
  • ब्लैक मनी पर मोदी की सर्जिकल स्ट्राइक
  • देशभर में अफरा-तफरी
नई दिल्ली : आज अचानक पीएम मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कालाधन पर लगाम लगाने के लिए कई बड़े ऐलान कर दिये। पीएम ने 500 और 1000 के नोट आज आधी रात से बंद करने की घोषणा कर दी। साथ ही 2000 रुपए के नए नोट बाजार में लाने का भी ऐलान किया। पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि भारत ने दुनिया में चमकते सितारे के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। ये सरकार गरीबों को समर्पित है। पीएम ने कहा कि पिछले ढाई साल में देशवासियों के सहयोग से देश तरक्की की राह पर तेजी से आगे बढ़ा है।
पीएम मोदी ने बड़ा फैसला लेते हुए कालाधन पर लगाम लगाने के लिए 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने का ऐलान किया है। ये नियम आज आधी रात से लागू हो जाएगी। पीएम मोदी ने कहा कि जिनके पास 500 और 1000 रुपए के नोट हैं, वो 10 नवंबर से 30 दिसंबर तक बैंक और प्रमुख डाकघरों में जमा कराकर उसके बदले में वैध रकम ले सकते हैं। इसके लिए लोगों को बैंक में पैन कार्ड और पहचान पत्र दिखाने होंगे।
पीएम मादी ने कहा कि 500 और 1000 के नोटों के अलावा बाकी सभी नोट और सिक्के नियमित हैं और उनसे लेन-देन हो सकते हैं। आपके पास 50 दिनों का समय है। साथ ही अगर किसी वजह से 30 दिसंबर तक लोग ये नोट जमा नहीं कर पाते हैं, तो उन्हें एक आखिरी मौका भी दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ईमानदारी से पैसे कमाने वाले नागरिकों के हितों की पूरी रक्षा की जाएगी।
New note of Rs. 500
पीएम ने ऐलान किया कि 9 और 10 नवंबर को एटीएम काम नहीं करेंगे। 11 नवंबर की रात से 12 बजे तक नागरिकों के लिए कुछ विशेष व्यवस्था की गई है। 11 नवंबर की रात्रि 12 बजे तक सभी सरकारी अस्पतालों में पुराने 500 के नोट भुगतान के लिए स्वीकार किए जाएंगे। इसी तरह 72 घंटों तक रेलवे के टिकट बुकिंग काउंटर, सरकारी बसों के टिकट बुकिंग काउंटर और हवाई अड्डों पर भी केवल टिकट खरीदने के लिए पुराने नोट मान्य होंगे। उन्होंने कहा कि आपकी धनराशि आपकी ही रहेगी, आपको कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है।
पीएम मोदी ने कहा कि अब जल्द ही 2000 रुपए के नोट और 500 के नए डिजाइन के नोटों को सर्कुलेशन में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने रिजर्व बैंक के 2000 रुपये के नोटों के सर्कुलेशन का प्रस्ताव स्वीकार किया है। पीएम मोदी ने कहा कि ये एक ऐतिहासिक फैसला है और जनता के हित में है। इन नियमों को सुगमता से लागू करने के लिए 9 नवंबर को डाकघर और बैंक बंद रखे जाएंगे। उन्होंने कहा कि देश में किसी को भी इस फैसले की जानकारी इससे पहले नहीं मिली है, ताकि गोपनीयता बरकरार रहे।
पीएम ने विश्वास दिलाया कि देश के सभी राजनीतिक दल, संस्थाएं, समाज और हर वर्ग के लोग इस देश सुधारक काम में बढ़-चढ़कर सकारात्मक भूमिका अदा करेंगे। हालांकि पीएम ने कहा कि देश के लिए देश का नागरिक कुछ दिनों के लिए यह कठिनाई झेल सकता है। पीएम ने कहा कि पिछले दशकों में हम यह अनुभव कर रहे हैं कि देश में भ्रष्टाचार और कालाधन नामक बीमारियों ने अपनी जड़ें जमा ली हैं। भ्रष्टाचार और कालेधन का जाल तो तोड़ने के लिए सरकार सख्त कदम उठा रही है और परिणाम भी दे रहे हैं।

आतंकवाद की फंडिंग में इस्तेमाल हो रहे थे बड़े नोट

काले धन पर अंकुश लगाने के लिए पीएम मोदी के ऐलान के बाद आरबीआई ने प्रेस ब्रीफिंग की। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि 500 और 1000 के मौजूदा नोटों का चलन आधी रात से बंद कर दिया गया है। इनकी जगह पर अब नए नोट आएंगे। पटेल ने कहा कि आतंकवाद की फंडिंग में बड़े नोटों का इस्तेमाल हो रहा था। अब नए नोट जल्द आएंगे। पटेल ने कहा कि 500 और 2000 के नए नोटों का उत्पादन बढ़ा दिया गया है और जल्द से जल्द नए नोट मुहैया कराए जाएंगे। 
वित्त सचिव शशिकांत दास ने कहा कि पीएम मोदी ने देश को संबोधित किया है और काले धन पर अंकुश के लिए बड़े कदमों की घोषणा की है। काला धन रोकने के लिए यह निर्णायक कदम है। अर्थव्यवस्था के लिए यह फैसला जरूरी है। बीते पांच सालों में बड़े नोटों का सर्कुलेशन बढ़ गया था। वित्त सचिव ने कहा कि नए नोट 10 नवंबर से सामने आ जाएंगे। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वो 500 और 1000 के नोट बदलने के लिए किसी के बहकावे में न आएं। बैंकों में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। नोटों के चलन से जुड़ी किसी भी दिक्कत के समाधान के लिए रिजर्व बैंक ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं। मुंबई का नंबर है 022-22602201 और दिल्ली का नंबर है 011-23093230
साभार : आजतक

मंगलवार, 8 नवंबर 2016

प्रथम अंतर्राष्ट्रीय कृषि जैवविविधता कांग्रेस का आयोजन

नई दिल्ली : प्रथम अंतर्राष्ट्रीय कृषि जैवविविधता कांग्रेस - आईएसी 2016 का आयोजन 6-9 नवंबर, 2016 तक नई दिल्ली में किया जा रहा है। इस कांग्रेस में 60 देशों से लगभग 900 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इस अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस में कृषि जैवविविधता प्रबंधन और आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण में प्रत्येक व्यक्ति की भूमिका के बारे में बेहतर समझ विकसित करने से संबंधित चर्चा की जायेगी। 
प्रथम अंतर्राष्ट्रीय कृषि जैवविविधता कांग्रेस का आयोजन नई दिल्ली में करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत में ईसा पूर्व 9000 वर्षों से खेती और पशुपालन का कार्य आरंभ हो चुका था। भारत में विशिष्ट पौधों और जीवों की विविधता होने के कारण यह महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक है। इसके अतिरिक्त 34 वैश्विक जैवविविधता हॉटस्पॉट में से चार भारत में स्थित हैं - हिमालय, पश्चिमी घाट, उत्तर-पूर्वी और निकोबार द्वीप समूह। इसके अलावा भारत, फसलीय पौधों की उत्तपति का विश्व के आठ केंद्रों में एक प्रमुख केंद्र है और वैश्विक महत्व की कई फसलों की विविधता का द्वितीयक केंद्र है। 
विश्व की बढ़ती आबादी की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में कृषि जैवविविधता के संरक्षण से टिकाऊपन बनाए रखने पर इस अंतर्राष्ट्रीय कृषि जैवविविधता कांग्रेस में प्रकाश डाला जायेगा। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के साथ ही वर्ष 2050 तक 9.7 अरब वैश्विक आबादी (यून डेसा, 2015) की 70 प्रतिशत अतिरिक्त मांग को पूरा करने के लिए टिकाऊ कृषि उत्पादन के विषय में भी चर्चा की जायेगी। 
कृषि जैवविविधता ही सतत कृषि विकास का आधार है और वर्तमान तथा भावी खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक प्राकृतिक संसाधन है। वैश्विक कुपोषण, जलवायु परिवर्तन, कृषि उत्पादकता बढ़ाना, जोखिम कम करना और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें इन बहुमूल्य संसाधनों का संरक्षण करना होगा, क्योंकि हमारी कृषि पद्धति में इनसे आवश्यक कच्चे माल की आपूर्ति होती है और लोगों को आजीविका भी मिलता है। 
प्रकृति ने मानवता को पौधों और पशुओं की प्रचुर विविधता प्रदान की है। विश्व में 3,90,000 पौध प्रजातियों की जानकारी है। इनमें से केवल 5,538 पादप प्रजातियों का प्रयोग ही मानव के भोजन में किया जाता है (रॉयल बोटनिक गार्डन्स क्यू, 2016)। इनमें से केवल 12 पौध प्रजातियों और 5 पशु प्रजातियों का प्रयोग विश्व के 75 प्रतिशत आहार उत्पादन में किया जाता है, जबकि 50 प्रतिशत हमारा भोजन केवल 3 प्रजातियों - धान, गेहूं और मक्का से प्राप्त होता है (एफएओ, 1997)। 
मानव आहार में जैव विविधता की कमी के कारणवश कुपोषण और भुखमरी की समस्या गहरा गई है। अब यह स्पष्ट है कि अत्यधिक दोहन के परिणामस्वरूप प्रकृति द्वारा प्रदत्त यह विविधता लुप्त होने के कगार पर है। विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों की पहल और राष्ट्रीय योजनाओं के समन्वय एवं सहयोग के कारण आज लगभग 7.4 मिलियन पौध जननद्रव्यों का संग्रह राष्ट्रीय और वैश्विक जीन बैंकों में संरक्षित किया जा सका है। भारत में स्थित विश्व के दूसरे सबसे बड़े जीनबैंक में 0.4 मिलियन एक्स सीटू 1,800 पौधों की किस्मों व उनके वनस्पति संबंधितों के जननद्रव्यों को संरक्षित किया गया है। यह भी चिंता जाहिर की जा रही है कि वर्तमान में संसाधनों या उपयोगिता संबंधित सूचनाओं के अभाव में ज्यादातर उपलब्ध जैवविविधता का उपयोग अत्यंत कम हुआ है। इस कारणवश कृषि जैवविविधता अनुसंधान को मजबूत बनाने के लिए नीति निर्माताओं को तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। 
कांग्रेस में जीन बैंकों के प्रभावी और कुशल, आनुवंशिक संसाधनों के क्षेत्रों में विज्ञान आधारित नवोन्मेष, आजीविका, फसल विविधता के माध्यम से खाद्य और पोषण सुरक्षा, अल्प ज्ञात फसलों के प्रयोग और फसल सुधार में जंगली फसल संबंधितों की भूमिका को शामिल करना, संगरोध से संबंधित मुद्दें, जैव रक्षा व जैवसुरक्षा और ज्ञान संपदा अधिकारों तथा जननद्रव्य आदान-प्रदान करने के संदर्भ में पहुंच तथा लाभ साझा करने जैसे मुद्दों पर चर्चा ओर ज्ञान साझा किये जाएंगे। इस कांग्रेस के दौरान कृषि जैवविविधता के प्रभावी प्रबंधन एवं उपयोग में समस्त हितधारकों की भूमिका पर चर्चा हेतु जनमंच विकसित करने की भी योजना है। भावी वैश्विक खाद्य एवं पोषण सुरक्षा तथा कृषि जैवविविधता का संरक्षण और विविध टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने में कृषि जैवविविधता का उपयोग एवं संरक्षण की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

शनिवार, 5 नवंबर 2016

महापर्व छठ की हार्दिक शुभकामनाएं

एशिया की जनजातियों को जानने को अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

 संक्षिप्त खबरें 
नई दिल्ली : केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम ने कहा है कि एशिया की जनजातियों को भलीभांति जानने की जरूरत शुरू से ही महसूस की जाती रही है। शिलांग में ‘एशिया की जनजातियों को भलीभांति जानने’ पर आयोजित की गई अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए मंत्री महोदय ने जनजातीय मुद्दों पर इतनी बड़ी अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित करने के लिए इसके आयोजकों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस संगोष्ठी से जनजातीय अध्ययन एवं अनुसंधान को मजबूत करने में सहायक सर्वोत्तम प्रथाओं और रणनीतियों को एकजुट करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘‘एशिया की जनजातियों के लिए विशिष्ट लोगों के रूप में अपने अधिकारों को मान्यता देने के लिए वकालत करना एक मुश्किल कार्य है। अनेक जनजातियों को अपना अस्तित्व बरकरार रखने के लिए संघर्ष करना पड़ता है और इस प्रक्रिया में अनेक बोलियां भी विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई हैं।’’ मंत्री महोदय ने यह उम्मीद जतायी कि इस संगोष्ठी से समुदायों के लागों को और ज्यादा सूचनाएं हासिल करने में मदद मिलेगी और इसके साथ ही एशिया की जनजातियों से जुड़े मुद्दों को सुलझाने में भी सहायता मिलेगी।
मंत्री महोदय ने इस अवसर पर एक पुस्तक का विमोचन भी किया, जिसमें शिलांग के सिनॉद कॉलेज में वर्ष 2015 में आयोजित की गई राष्ट्रीय संगोष्ठी से जुड़ी सामग्री भी शामिल है। असम की छह जनजातियों को एसटी का दर्जा देने से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय में विशेष सचिव की अध्यक्षता वाली एक उच्चस्तरीय समिति इस मसले पर गौर कर रही है। इस समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही सरकार इस दिशा में आगे बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट अतिशीघ्र पेश किए जाने की आशा है।
इस दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन शिलांग स्थित सिनॉद कॉलेज द्वारा पीए संगमा फाउंडेशन के सहयोग से किया जा रहा है। विश्व के विभिन्न हिस्सों के विद्वान इस संगोष्ठी में हिस्सा ले रहे हैं। इस संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य भाषण पश्चिम बंगाल के बर्दवान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफसर स्मृति कुमार सरकार ने दिया। उनका भाषण ‘पूर्वोत्तर भारत के आरंभिक आदिवासी समाज’ पर केंद्रित था। लोकसभा सदस्य श्री कॉनरड के. संगमा ने भी उद्घाटन सत्र में शिरकत की।

देश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू

नई दिल्ली : केरल और तमिलनाडु द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) लागू किए जाने के साथ अब यह अधिनियम सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू हो गया है। इसके परिणामस्वरूप 81.34 करोड़ लोगों को 2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गेहूं और 3 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव से चावल मिलेगा। यह घोषणा केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने मीडिया से बातचीत में की। खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों से सक्रियता के साथ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू करने का आग्रह किया था।
श्री पासवान ने कहा कि केंद्र अब सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में आगे सुधार करने पर फोकस करेगा। इसमें शुरू से अंत तक प्रणाली का कम्प्यूटरीकरण शामिल है। इसके लिए राज्यों, केद्र शासित प्रदेशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कामकाज में पारदर्शिता लाना महत्वपूर्ण है। पारदर्शिता राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की महत्वपूर्ण विशेषता है, ताकि अनाजों की चोरी और डायवर्जन रोका जा सके।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली को चोरी मुक्त बनाने के लिए केंद्र की ओर से अनेक कार्यक्रम शुरू किए गए। श्री पासवान ने कहा कि 36 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में लाभार्थी का डेटा का डिजिटलीकरण किया गया है। इसमें लाभार्थी के स्तर तक सूचना उपलब्ध है और सूचना पब्लिक डोमेन में है। 28 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में अनाजों का ऑनलाइन आवंटन किया जा रहा है और 18 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में खाद्यान्न सप्लाई की पूरी श्रृंखला को कम्प्यूटरीकृत किया गया है। राशन कार्डों का आधार से 100 फीसदी जोड़ने का लक्ष्य हासिल किया जाएगा। अभी 71 प्रतिशत राशन कार्ड आधार से जुड़े हैं। एफसीआई का खाद्यान्न नुकसान कम होकर 0.04 प्रतिशत रह गया है और एफसीआई के प्रमुख डीपो ऑनलाइन कर दिये गए हैं।
बेहतर लक्ष्य और खाद्यान्नों के चोरी मुक्त वितरण की दिशा में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना दो अलग-अलग रूप में चलाए जा रही हैं। पहली पद्धति में लाभार्थी के बैंक खाते में खाद्यान्न सब्सिडी नकद रूप में अंतरित की जा रही है। लाभार्थी अपनी पंसद के अनुसार बाजार से अनाज खरीद सकते हैं। यह प्रयोग चंडीगढ़, पुड्डुचेरी तथा दादरा और नगर हवेली के शहरी क्षेत्रों में शुरू किया गया है। दूसरे तरीके में उचित मूल्य की दुकानों को स्वचालित करना है, ताकि बिक्री के इलेक्ट्राॅनिक प्वाइंट (इ-पीओएस) उपकरण के माध्यम से वितरण के समय लाभार्थी के प्रमाणीकरण के साथ अनाजों का वितरण किया जा सके। इस व्यवस्था में परिवार को दिए जाने वाले अनाज की मात्रा की इलेक्ट्राॅनिक जानकारी होती है। 31 अक्टूबर, 2016 तक 1,61,854 उचित मूल्य की दुकानों में ई-पीओएस उपकरण काम कर रहे हैं।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कामकाज को सहज बनाने के लिए राज्य सरकारों को केंद्रीय सहायता दी जा रही है, ताकि सरकारें राज्य के अंदर परिवहन खर्च और खाद्यान्नों के उतार-चढ़ाव तथा डीलर के मार्जिन का खर्च वहन कर सकें। उचित मूल्य के दुकानों को डीलरों की मार्जिन के लिए सहायता में उचित मूल्य दुकान पर डीओएस उपकरण लगाने और चलाने के लिए सहायता भाग शामिल है। भारत सरकार द्वारा 2016-17 में अबतक राज्य सरकारों को 1874 करोड़ रुपये जारी किए हैं। वर्तमान कवरेज पर अधिनियम के अंतर्गत राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों को खाद्यान्नों का मासिक आवंटन लगभग 45.5 लाख टन है और इसमें 11,726 करोड़ रुपये प्रति माह की सब्सिडी और लगभग 1,40,700 करोड़ रुपये सालाना की सब्सिडी है।
गन्ना बकायों के बारे में श्री पासवान ने कहा कि 2014-15 का बकाया 21 हजार करोड़ रुपये था, जो घटकर 205 करोड़ रुपये रह गया है। चना को छोड़कर दालों की कीमतों में गिरावट आई है। गेहूं के मूल्यों के बारे में उन्होंने कहा कि सरकार ने एफसीआई ओएमएस योजना के अतंर्गत घरेलू बाजार में बिक्री के लिए अतिरिक्त 10 लाख टन गेहूं जारी करने का निर्णय लिया है।

गुरुवार, 3 नवंबर 2016

शहरी गरीब किफायती आवासों के लिए ऑनलाइन करें आवेदन

 संक्षिप्त खबरें 
नई दिल्ली : आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण पहल की है, जिसके तहत प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) (शहरी) के अंतर्गत सस्ते आवासों के लिए शहरी गरीब ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस संबंध में आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के कॉमन सर्विसेज सेंटर ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड ने संबंधित मंत्रियों एम. वैंकेया नायडू और रवि शंकर प्रसाद की उपस्थिति में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
देशभर में फैले दो लाख से अधिक कॉमन सर्विसेज सेंटर (सीएससी) में से लगभग 60 हजार सेंटर शहरी क्षेत्रों में हैं, जहां 3 नवंबर, 2016 से मात्र 25 रुपये प्रति आवेदन की दर से ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। एमओयू के अनुसार, सीएससी लाभार्थी को प्राप्ति रसीद भी उपलब्ध करायेगी, जिससे आवेदक को अपने आवेदन की स्थिति जानने में मदद मिलेगी। लाभार्थी ऑनलाइन पीएमएवाई (शहरी) के फायदे के बारे में जानकारी लेने के लिए नजदीकी सीएससी जा सकते हैं। अगर लाभार्थी के पास आधार कार्ड नहीं है, तो सीएससी इसे पाने में लाभार्थी की मदद करेगा। ऑनलाइन आवेदन करने की यह प्रक्रिया ई-केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) समर्थ है, जिसका मतलब यह है कि यह आवेदन विधिवत सत्यापित करने के बाद प्रस्तुत किया गया है।
इस अवसर पर आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्री एम. वैंकेया नायडू ने कहा कि डिजिटल इंडिया मिशन देश में बदलाव ला रहा है और शहरी स्थानीय निकायों में स्वयं जाकर आवेदन करने में होने वाली कठिनाई को दूर कर सीएससी एसपीवी के सहयोग से पीएमएवाई (शहरी) के अंतर्गत अधिक शहरी गरीबों को लाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि जहां 2005-14 के दौरान 13.70 लाख शहरी गरीबों के लिए किफायती आवासों के लिए मंजूरी दी गई थी, वहीं पिछले एक वर्ष में शहरी गरीबों के लिए लगभग 11 लाख आवासों को मंजूरी दी जा चुकी है और ऑनलाइन आवेदन से यह संख्या और बढ़ेगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि सीएससी डिजिटल इंडिया मिशन का अग्रदूत है और कौशल तथा ऑनलाइन सेवा आपूर्ति के जरिए यह समाज के विभिन्न वर्गों को सशक्त बना रहा है। आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय में संयुक्त सचिव अमृत अभिजात और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के सीईओ दिनेश त्यागी ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए।

केरल खुले में शौच से मुक्त घोषित

नई दिल्ली : स्वच्छ भारत अभियान (एसबीएम) (ग्रामीण) के अंतर्गत केरल को अबतक तीसरा और सबसे बड़ा खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) राज्य घोषित किया गया है। इसकी औपचारिक घोषणा केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने तिरुवनंतपुरम के केन्द्रीय स्टेडियम में एक शानदार समारोह में की। विजयन ने राज्य में इस शानदार उपलब्धि में शामिल जिला कलेक्टरों और अन्य सरकारी अधिकारियों को पुरस्कार और बधाई दी।
इसके साथ ही केरल के सभी 14 जिलों, 152 ब्लॉकों, 940 ग्राम पंचायतों और 2117 पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया गया है। खुले में शौच से मुक्ति, विशेष रूप से बच्चों में जल जनित बीमारियों से बचाव से जुड़े स्वास्थ्य लाभ और महिलाओं एवं वरिष्ठ नागरिकों के लिए सुरक्षा और सम्मान प्रदान करती है। सिक्किम (6 लाख) और हिमाचल प्रदेश (70 लाख) के बाद करीब 3.5 करोड़ की ग्रामीण आबादी के साथ खुले में शौच से मुक्ति का दर्जा प्राप्त करने वाला केरल सबसे बड़ा राज्य है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने खुले में शौच से मुक्त दर्जा प्राप्त करने के लिए राज्य द्वारा व्यवहार परिवर्तन के लिए किए गए प्रयासों के महत्व पर बल दिया। उन्होंने इस दर्जे को बनाए रखने के लिए स्वच्छता पर निरंतर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। अपने अध्यक्षीय भाषण में स्थानीय सरकार, अल्पसंख्यक कल्याण, वक्फ और हज तीर्थयात्री राज्य मंत्री डॉ. केपी जलील ने स्वच्छ भारत और केरल के वास्तविक निर्माण के लिए प्रभावी ठोस और तरल कचरा प्रबंधन के महत्व पर बल दिया।

दालों की नई किस्म ‘पूसा अरहर-16’

नई दिल्ली : केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामले मंत्री अरुण जेटली और केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने दालों की नई किस्म ‘पूसा अरहर-16’ के खेत का मुआयना किया। राधा मोहन सिंह ने इस नई किस्म के बारे में अरुण जेटली को विस्तृत जानकारी दी। श्री जेटली ने ‘पूसा अरहर-16’ को विकसित करने के लिए आईसीएआर के वैज्ञानिकों को बधाई दी और उम्मीद जतायी कि देश जल्द ही दालों के मामले में आत्मनिर्भर बन जाएगा।
इस अवसर पर राधा मोहन सिंह ने कहा कि ‘पूसा अरहर-16’ काफी पहले पक जाने वाली, परिमित, कम ऊंचाई एवं उच्च पैदावार वाली किस्म है और यह किसानों को अगले खरीफ सीजन से उपलब्ध करा दी जाएगी। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि जहां एक ओर परम्परागत किस्मों को पकने में 170 दिन लग जाते हैं, वहीं दूसरी ओर यह नई किस्म सिर्फ 120 दिनों में ही पक जाती है। अरुण जेटली और राधा मोहन सिंह ने बाद में सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती (एकता दिवस) पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और विशेषकर राष्ट्र के एकीकरण में उनके बहुमूल्य योगदान को स्मरण किया। इस अवसर पर कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग में सचिव शोभना के. पटनायक और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन मोहापात्रा के अलावा आईएआरआई की निदेशक डॉ. रविन्दर कौर भी मौजूद थीं।
आईसीएआर-आईएआरआई, नई दिल्ली ने और अधिक जल्दी पकने वाली (120 दिन), कम ऊंचाई वाली (95 सेमी से 120 सेमी तक लंबी) परिमित, अधिक उपज देने वाली नई पादप प्रकार की आनुवंशिक सामग्री अर्थात पूसा अरहर-16 विकसित की है, जो अर्द्ध रूप से सीधा खड़ा होने वाला मजबूत किस्म का पौधा है। अगर इसकी बुआई 30 सेमी की दूरी रखकर और एक पौधे से दूसरे पौधे के मध्य 10 सेमी का अंतर रखकर की जाए, तो एक हेक्टेयर भूमि में इस किस्म की अरहर के 3,30,000 पौधों की सघन आबादी हो सकती है। फसल की अधिक उपज प्राप्त करने के लिए अधिक घनत्व वाली रोपाई और मशीनीकरण बहुत महत्वपूर्ण है। अरहर की पारंपरिक किस्मों में उच्च घनत्व की रोपाई संभव नहीं होती, क्योंकि उनके पौधे अपरिमित प्रकार के होते हैं और बहुत फैलाव करने वाले होते हैं। इस प्रकार अधिक जनसंख्या घनत्व की उपयुक्तता से पौधों का एक समान घनत्व हो जाता है और जिसके कारण एक समान ही पौधे खड़े होते हैं। इसलिए अंकुर नष्ट होने के कारण होने वाली हानियां कम होती हैं। 
पूसा अरहर 16 के रूप में आईसीएआर-आईएआरआई ने गेहूं और चावल के कम ऊंचाई वाले पौधों की तरह ही अरहर की यह नई किस्म विकसित की है। एनपीटी अरहर के लिए उत्पादकता को खेती की कम लागत के साथ मिश्रित करने के लिए संशोधित कृषि विज्ञान की आवश्यकता है, जिसे विकसित कर लिया गया है। गेहूं की बुवाई से लेकर उसकी कटाई तक प्रयुक्त होने वाली कृषि मशीनरी का एनपीटी अरहर की खेती में पूरी तरह उपयोग किया जा सकता है। पूसा अरहर 16 में पौधों की सघनता और कम ऊंचाई के कारण कीटों के प्रभावी नियंत्रण के लिए नैप्सैक स्पेयर का कीट नाशकों के साथ भी प्रभावी रूप से छिड़काव किया जा सकता है। तुल्यकालिक परिपक्वता वाला यह नई किस्म का पौधा मिश्रित खेती के लिए भी उपयुक्त है, इसलिए कटाई और खलिहान कार्य के लिए मानव श्रम की जरूरत नहीं पड़ती। परंपरागत किस्मों की कटाई और खलिहान कार्य के लिए अधिक मानव श्रम और समय की आवश्यकता पड़ती है, इसलिए खेती की लागत बढ़ने के साथ-साथ बेमौसम की बारिश के कारण फसल को हानि पहुंचने की संभावना रहती है। अरहर की फसल की सफल कटाई के बाद रबी सीजन में सरसों, आलू, गेहूं पैदा किया जा सकता है। इसके अलावा यह किस्म चूंकि जल्दी पकने वाली (120 दिन) है, इसलिए मानसून की शुरुआत (5 जून) से लेकर जुलाई के पहले सप्ताह तक इसकी बुवाई की जा सकती है।